अध्यात्म पाठ संग्रह | Adhyatm Paath Sangrah

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Adhyatm Paath Sangrah by आचार्य श्री नेमीचन्द्र - Acharya Shri Nemichandra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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समयसार, योगसार एवं छहटाला के रचनाकार क्रमण. श्ाचार्य दुन्दरुन्द, मुनिराज बोगीन्दु एव पण्टित दोलतरामजी का सल्लिप्त परिच्रय भी पुस्तक के प्रारम्न में सगृहीत कर दिया जा रहा है। जिनवाणी के प्रचार-प्रसार हेनु इतसकल्पित पण्डित टोइरमल स्मारक ट्रस्ट, जयपुर ने इस पुन्तक के प्रकाशन की प्रदन्ध व्यवस्था का दायित्व वहन करके, हमें बहुत व भार से सुक्त कर दिया। एनदर्य हम ट्रस्ट के पदाधिकारी मगर एवं संचालक डॉ० हुकमचन्दजी भारिल्ल के हाविन आमारो हैं । श्री टोडरमल दिगम्वर जन सिद्धान्त महाविद्यालय, जयपुर के मेघावी छात्र विद्वान एवं जयपुर से प्रकाशित हिन्दी झ्ात्मचघर्म के प्रवन्ध सम्पादक नक्ेश जन, शास्त्री, जनदर्शनाचार्य ने इस सप्रह का सम्पादन कार्य किया है, एनदर्व उन्हें भी अनेकानेक धन्यवाद ज्ञापित करते हैं। सुद्रण कार्य हेतु श्री सोहनलालजी जैन, जयपुर प्रिण्टर्स भी घन्यवाद के पात्र हैं, जिनके सदप्रयास से इस पुस्तक का इतना सुन्दर मुद्रण हुआ है । इनके झलावा वे सनी महानुनाव नी पधन्यवादाह हैं, जिनका यत्‌-किचित्‌ सहयोग सभी हमें प्राप्त हुआ है | इस पुस्तक का मूल्य लागत कीमत से भी कम रखने हेतु श्री दिगम्वर जन मुमुझ्नू मण्डल, उदयपुर के स्वाध्याय प्रेमियों की श्लोर से ४० ००) की राशि प्राप्त हुई है 1 श्रन्च में, सभी स्वाध्याव प्रेमी महानुमाव इस पुस्तक के माध्यम से स्वाध्याय के अगभूत आम्नाय अंग का उपयोग कर अ्रपना भात्महित करें - ऐसी भावना है । निवेदक : श्री दिगम्बर जैन मुमुल्ल मण्डल, उदयपुर (राज०) अनिल एन नवीन -सं-कतफपकन-नपबनबन«%ण+-वकन--+--7777*“७ 2७७-नननन-गीननल-ऊआ-ननननन 3. बना जिनीनिननाना: परजििनाओनओ. अयथ कक ७9-3०... :प-प- अमममममम» फनी “०० को रन-पन. अमन,




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