चारुदत्तम् | Charudattam

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Charudattam by कपिलदेव गिरि - Kapiladev Giri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आत्म-निवेदन अल्नुत पृश्तक वी स्यात्या करते समय छात्रवाघुओं का समस्याओं छो च्यान में रखझर रम्य एवं तरिल शराब्दों का समास विधि से ही शथबोध झरान का प्रयाग दिया गया ६। ययासम्भव भाषा छो सरल और शैलो का मबोथ बनाने दो चशं की गई हू! व्याख्या छिखन॑ में तिन प्रायों स॑ सहायता मिली ह उनके लगाों व प्रकाश झा म परम हृतत्ष हूँ। ”सक अतिरिक्त गुरदेव श्री ५ महादेव शाज्रा ( भूतपूर्व भ्रधानाचाय से मद्गविद्यालय का हि विवि) श्री प+ कान्तानाग जा शास्री तैंलय भ्रा प राममूर्ति तिपाटी जी जमे सद्ानुभाबों सै समग्र समय पर जो सक्रिय सहयोग मिला है उसके हिए आमारप्र्शन माश्र करना घृष्ना होगी । श्री तैल्गजी ने अपने झ-प परिचय में ह। भ्रमित प्ररणाओं क साय जिन तुलनात्मक एवं आलोचनान्मक साम्रप्रीया ज्ञान कराया हैं दह ठनक सनद्गगम आशी फरा श्रतीक ह। बजधुवर श्री शाकरदेव जा अबतर न झपन ब्यास्त समग्र में भी जिस सत्ता के साथ हिन्दी पाए्ड लिपि को आ्राधन्त पद्ा उसक लिय उन्हें घ-यवाद देना उपचारमाश्न होगा। प्रकाशक मदीदय जी को वहुश धन्यवाद है जिनको ध्रणा एवं दी हुई सविया स इस व्याख्या को रचना की जा सकी है। अन्त में निवदुन हे कि सदृदय एवं विश्व पाठक अपने सत्परामर्श द्वारा लग को भनुगृहदोत फरेंग । कप पा फपिलदेव गिरि मे २०१६




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