मोक्षशास्त्र अर्थात तत्वार्थसूत्र | Mokshashastra Arthat Tatvarthasutra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
19 MB
कुल पष्ठ :
715
श्रेणी :
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No Information available about रामजी माणेकचंद दोशी - Ramji Manekachand Doshi
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(रण
सूत्र नम्बर विषय पृष्ठ सख्या सूत्र नम्बर विषय पृष्ठ सख्या
क्क्षकऔरकैंसे7 न उ् |__7 जम मध्यायकापरशिष्टन -5
सुख का उपाय ज्ञान और सत् समागम 142 केवलड्ञान (केवली का ज्ञान) वा स्पष्टरूप
जिस ओर की रुचि उसी का रटन उ्ब्ठ और अनेक शास्ों का आधार 166 सै 177
श्रुतज्ञान के अवलबन का फल - अध्याय दूसरा
आत्मानुप्राव 145 जौव के अम्ताधाएण भाव 778
सप्यग्दर्शन होने से पूर्व ढ़ औपशमिकादि पाँच भावों की व्याख्या. 178
धर्म के लिये प्रथम क्या करें वरक्ा यह पांच भाव क्या बठलाते हैं ? 179
सुख का मार्ग, विकार वा फल, असाध्य, उनके कुछ प्रश्गेत्तर 0
शुद्धात्मा उ47 148 औपशमिकभाव कब होता है यहा
चर्म की रुचिवाले जीव कैसे होते हैं ? 148 उनकी महिमा 182
उपादान-निमित्त और कारण-कार्य 349 पाँच भावों के सम्बन्ध में कुछ स्पष्टीकरण. 183
अन्तरग-अतुभव का उपाय-ज्ञरकी क्रिया 149 जीव का कर्तव्य 385
ज्ञान में भव नहीं है 1 पाव भावों के सम्बन्ध में कुछ विशेष
इस प्रकार अनुभव में आनेवाला शुद्धात्मा स्पष्टीकरण 186
कैसा है ? 150 इस सूत्र में नय-प्रमाण की विवक्षा ]
निश्वय-ध्यवहार छा 2 भावों के भेद ग्ठा
सम्यग्दर्शन होने पर कया होता है छा 3 औपशमिक भाव के दो भेद 187
बासम्बार ज्ञान में एकाअठा का अभ्यास. 151 4 क्षायिक भाव के 9 भेद 188
अन्तिम अभिष्राय 195 5 क्षायोपरामिक भाव के 18 भेद 189
च्रथम अध्याय का परिशिष्ट - 4 6 औदयिक भाव के 21 भेद 190
ठल्वार्थ श्रद्धात को सम्यग्दर्श का लक्षण 7 पारिणामिकभाव के ठीन भेद का
कहा है, उस लक्षण में अव्याप्ति आदि उनके विशेष स्पष्टीकरण ग्च्
दोष का परिहार का न भाव कभी
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