श्री बाल्मीकीय रामायण | Shree Balmikiy Ramayan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
68 MB
कुल पष्ठ :
280
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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लाते याह आश्राप्ष माघि बासा । बहुदिन नहिचाही कारिआासा।
यह कांह राम गये चुप साथी । संध्या कश्न सम्य ऋनबाचीर
पाश्चम मख रंच्या कार आये | उचित बास पट आसन लाये
आन शतोहण के आजम माहों | सिया लखन यत रणघ्य सुठाहीं २१
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सब सुन्दर शाच बिमल अब्चल, तपसिन के लायक
धनज सतीदश सांन बा छिबा छू, दोनही सन सायक ॥
धरुष सिंह हो राम लखन कहे, जा सख् ;दायक-। /
करि सत्कार सुजान महा मति, के ऋषि नायक ॥
संध्या बंदन कम करि, अरू निबुत्त हे सकल से
जब रेन भई सचार लखि, अतिथ मानि गुरु सबल सैर४
भाषा छंदानबादे सप्रम! सम) ॥ ७ ॥
कफ जलन.
आहठबव सगे ॥
सतीचण सुनि के आऊडाम. में रेत बिताय प्रात सम्नथ नित्य क्रिया कर:
- और २ आएाम देखने की आज्ञा ले रामचंद्र का गमन करना ॥
दोहा ॥
. झुज्ति सुतीक्षण से मान लहि, रामहु. लखन. समेत ॥:
लहेँ (बताइ (नाश जगे पूर्ति, प्रातहि कृपा लिकेस- ॥३॥- .
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