श्री बाल्मीकीय रामायण | Shree Balmikiy Ramayan

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Shree Balmikiy Ramayan by देवकीनन्दन त्रिपाठी - Devakinandan Tripathi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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5. इति शोमदूाल्मीकीय रामायण अरण्थ कंडे पं७० देवकीनंदन जि?ंपरांठि क॒ल .... ४ बानी ह 15 लए, - हर कक फ््य उधर अत 5: च 8 4 बह कर 2 कट । नह स्व हऋ जा ना जय 32-64 टिक फिक्स नल 2 पा, दिए हक फिपरक अत 57 क्र लो. ० पे ध्क हवन 0 0 अदा के लो । कल | डी पड कक लिन निज लए जल. विकयन आू 4 8 सु अलपायाइध, 7 मल«्करत+्नक्कः लग!“ लशगकट लिपलिड जोन... कह सफर च पे के कि. कण पी 1 ० ५ सम आम ७४२९ ]-२४ ॥ बा० शा० भाषा छब्द में ॥ [आ« कां० सब आरह आये मग खर, साना । लानि चोख झिननतफलबानेन। लामसाच झआापसलिन मन होउ | याते पर दख नहिं जग काक़२१ लाते याह आश्राप्ष माघि बासा । बहुदिन नहिचाही कारिआासा। यह कांह राम गये चुप साथी । संध्या कश्न सम्य ऋनबाचीर पाश्चम मख रंच्या कार आये | उचित बास पट आसन लाये आन शतोहण के आजम माहों | सिया लखन यत रणघ्य सुठाहीं २१ 9 4 जज सब सुन्दर शाच बिमल अब्चल, तपसिन के लायक धनज सतीदश सांन बा छिबा छू, दोनही सन सायक ॥ धरुष सिंह हो राम लखन कहे, जा सख् ;दायक-। / करि सत्कार सुजान महा मति, के ऋषि नायक ॥ संध्या बंदन कम करि, अरू निबुत्त हे सकल से जब रेन भई सचार लखि, अतिथ मानि गुरु सबल सैर४ भाषा छंदानबादे सप्रम! सम) ॥ ७ ॥ कफ जलन. आहठबव सगे ॥ सतीचण सुनि के आऊडाम. में रेत बिताय प्रात सम्नथ नित्य क्रिया कर: - और २ आएाम देखने की आज्ञा ले रामचंद्र का गमन करना ॥ दोहा ॥ . झुज्ति सुतीक्षण से मान लहि, रामहु. लखन. समेत ॥: लहेँ (बताइ (नाश जगे पूर्ति, प्रातहि कृपा लिकेस- ॥३॥- . ब्लड




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