वैदिक स्वर मीमांसा | Vaidik Swar Meemansha

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Vaidik Swar Meemansha by पं. युधिष्ठिर मीमांसक - Pt Yudhishthir Mimansak

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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खबरों के भेद औरडनका उच्चारण प्रकार... १३ पदढ़' सकता है। सम्भव है उदात्तादि सात स्वर ही सामगान में पड़जादि अथवा... क्रशादि नाम से व्यवहत होते हों पांच खर--नारद शिक्षा १७१९ में उदात्त, अनुदात्त, खरित, अचित ( प्रचय ) और निघात नामक ख्रों का वर्णन मिलता है। यथानन उदात्तश्ानुदात्तश्च॒ स्वरितप्रचिते तथा । निधातश्रेति विज्ञेयः स्वस्भेदस्त पद्नमः॥ इन में उछिखित प्रचित अथवा ग्रचय एकश्रति का ही दूसरा नाम है। अचय, प्चित, प्रच, निचित, उदात्तमय ८एकश्रति--प्रातिशाख्य प्रदीप शिक्षा का लेखक बालकृष्ण गोडशे प्रचय, प्रचित, प्रच, निचित और उदात्तमय शब्दों का एकश्रति का पर्याय मानता है। वह लिखता है--- द स्वरितात्परमनुद्ात्तमेकसनेक वाक्षरमुदात्तवतत्‌। एकश्रद्या उच्चार- णीय॑ स्यातू। अयमेव प्रचयः: अचितः प्रचो निचित उदात्तमय इति- बेदिकेव्येबह्वियते । शिक्षा संग्रह, पृष्ठ २१६ ॥ ते० ग्रा० २३1१९ की वेदिकाभरण व्याख्या में भी छिखा है-- उम्रयकरणरहितः प्रचयः, उमयकरणसभावेशजन्यः स्वरित इति । . अर्थाव--जो उद्यत्त अनुदात्त के करणों से रहित हो वह प्रचय और उदात्त .. अनुदात के उमयविधकरणों के समावेश से उत्पन्न स्वरित कहाता है । ... सायण भी छिखता है--- ऐकश्रत्यं ग्रचयनासकं भवति । ऋग्भाष्य १११॥ प्रचय शब्द का योगिकाथे ( धात्वर्थ ) में प्रयोग--प्रचय शब्द स्व॒र- . शाज्र में स्वरविशेष का बाचक है तथापि इसका मूलभूत यौगिक ( धात्वथ ) में भी प्रयोग देखा जाता है। यथा-- . अ्रचये समासस्वसप्रतिषेघः । महामाष्य २११, निर्णय० पृष्ठ ३३५। .. इस पर कैयठ लिखता है-- प्रचय इति--अनेकस्मिन्‌ संबन्धिनि विवक्षित इत्थेः | नागेश--अनेकस्मिन्निति--प्रचय आधिक्यमिति भावः । _ उक्त इल्ोक में निधात शब्द साधारणतया अनुदात्त अर्थ में प्रसिद्ध है, परखु..... ... नार शिक्षा में निधात शब्द उस अनुदात्त विशेष के लिए प्रयुक्त हंआ हैजो .._ उदात्त अथवा ख्रित परे रहने पर एकश्रति न होकर अनुदात्त ही बना रहता है, ... अथवा अष्टाष्यायी १।२।४० के अनुसार अनुदात्ततर कहा जाता है




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