वैदिक स्वर मीमांसा | Vaidik Swar Meemansha
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
120 MB
कुल पष्ठ :
263
श्रेणी :
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No Information available about पं. युधिष्ठिर मीमांसक - Pt Yudhishthir Mimansak
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)खबरों के भेद औरडनका उच्चारण प्रकार... १३
पदढ़' सकता है। सम्भव है उदात्तादि सात स्वर ही सामगान में पड़जादि अथवा...
क्रशादि नाम से व्यवहत होते हों
पांच खर--नारद शिक्षा १७१९ में उदात्त, अनुदात्त, खरित, अचित
( प्रचय ) और निघात नामक ख्रों का वर्णन मिलता है। यथानन
उदात्तश्ानुदात्तश्च॒ स्वरितप्रचिते तथा ।
निधातश्रेति विज्ञेयः स्वस्भेदस्त पद्नमः॥
इन में उछिखित प्रचित अथवा ग्रचय एकश्रति का ही दूसरा नाम है।
अचय, प्चित, प्रच, निचित, उदात्तमय ८एकश्रति--प्रातिशाख्य प्रदीप
शिक्षा का लेखक बालकृष्ण गोडशे प्रचय, प्रचित, प्रच, निचित और उदात्तमय
शब्दों का एकश्रति का पर्याय मानता है। वह लिखता है--- द
स्वरितात्परमनुद्ात्तमेकसनेक वाक्षरमुदात्तवतत्। एकश्रद्या उच्चार-
णीय॑ स्यातू। अयमेव प्रचयः: अचितः प्रचो निचित उदात्तमय इति-
बेदिकेव्येबह्वियते । शिक्षा संग्रह, पृष्ठ २१६ ॥
ते० ग्रा० २३1१९ की वेदिकाभरण व्याख्या में भी छिखा है--
उम्रयकरणरहितः प्रचयः, उमयकरणसभावेशजन्यः स्वरित इति ।
. अर्थाव--जो उद्यत्त अनुदात्त के करणों से रहित हो वह प्रचय और उदात्त
.. अनुदात के उमयविधकरणों के समावेश से उत्पन्न स्वरित कहाता है ।
... सायण भी छिखता है---
ऐकश्रत्यं ग्रचयनासकं भवति । ऋग्भाष्य १११॥
प्रचय शब्द का योगिकाथे ( धात्वर्थ ) में प्रयोग--प्रचय शब्द स्व॒र-
. शाज्र में स्वरविशेष का बाचक है तथापि इसका मूलभूत यौगिक ( धात्वथ )
में भी प्रयोग देखा जाता है। यथा--
. अ्रचये समासस्वसप्रतिषेघः । महामाष्य २११, निर्णय० पृष्ठ ३३५।
.. इस पर कैयठ लिखता है--
प्रचय इति--अनेकस्मिन् संबन्धिनि विवक्षित इत्थेः |
नागेश--अनेकस्मिन्निति--प्रचय आधिक्यमिति भावः । _
उक्त इल्ोक में निधात शब्द साधारणतया अनुदात्त अर्थ में प्रसिद्ध है, परखु.....
... नार शिक्षा में निधात शब्द उस अनुदात्त विशेष के लिए प्रयुक्त हंआ हैजो
.._ उदात्त अथवा ख्रित परे रहने पर एकश्रति न होकर अनुदात्त ही बना रहता है,
... अथवा अष्टाष्यायी १।२।४० के अनुसार अनुदात्ततर कहा जाता है
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