बड़े शिक्षा पत्र | Bade Shikshapatra

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Bade Shikshapatra by श्री हरि राय - Shree Hari Rai

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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न्प् प्रस्तावना, नचि टिप्पण कीये हैँ ओर मृल शोक तथा ब्रजभाषाकी टीकामें जो के साक्षिमें >ओेक लिखे हैं तिनको राच्दार्थह्‌ लिख्यो दे जाकों वांचियेतें शेकको अथ जानियेमें आायजाय. इतनो श्रमकरि यह पुस्तक आपने देवी जीवनके कल्याणार्थ छपवायों हे. या पुस्तकर्म छापिवेबारेकी शिथिल्तासं अथवा दृष्टिदोपसं कछु अश्ुद्धता रहगई होय तो सुधा- रिके व॒चेंगे एसी प्रार्थना हे | श्रीसुवोधिनी सभा: अिज-++क न फित पपक्‍ >> ५ा+ उपोद्धात. एकसमग्र श्रीहरिरायजी परदेशकों पधारे हते ओर श्रीगोपेश्वरजी घर सवा हते. श्रीहरिरायजी वडेभा३ ओर श्रीगेपेश्वरजी छोटेभाई. सो भ्रीगोपेश्वरजीके बहुजी सेवामें बहोत अनुकूल भगवद्भधावसंवलित हते सो श्री4हु जी महाराज लीटा विस्तारेंगे तब श्रीगोपेश्वरजीकों बहोत बिरह होयगो, एसें श्रीहरिरायजीनें महिना दोय पहिले जानी तब श्रीहरिरायजी मनमें विचारे जो श्रीगोपेश्वरजी विभयोग करे बहोत दुःख पावेंगे तातें कच्छ शिक्षाके पंच पठावने चाहियें, सो शिक्षाके - _ शीवहजीमद्ाराजकी मेवा्म सहायता बद्ोत हती वात्तों अब में यक्नेलो सेवा कोनमाति कहंगो यह दुः्य दोयगो, २ पहले मंम्द्रतमेंद्ी पप्र लिखिवेकी रीति इतीं तासों यह ४१ पंप संस्कृतम हैं, हे पट +




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