प्रसिद्ध वैज्ञानिक | Prasiddh Vaigyanik
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
244
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ड्ु््य्य्य््््य््््य्््य्य्य्य््य्य्व्््य््य्य्च्य््य्य्य््य्य्य्््््य््य््क्य्ड्ट
निफोलस कॉपरनिकस
(१४७३-१५४३)
गैलिलियो गैलिली
((४६४-१६४२)
आधुनिक ज्योतिष का जन्म
कला एवं साहित्य के पुनरुत्यान के समय मे--जिसका वर्णन पिछले
अध्याय मैं किया ग्रया है---विद्वातो, सम्भ्रान्त व्यक्तियों और पादरियों की यूनानी
साहित्य और कला में विशेष अभिरचि थी, विशेषत कला में ॥ महान् शक्ति-
शाली तथा धनियों के कुठुम्ब जैसे फ्लोरेन्स के मेडिची ओर रोम के पोप प्राचीन
तक्षण-कला के बहुमूल्य नमूने एकत्र करते थे । पद्धहवी शताब्दी के अन्त में
इटली में चित्रकारी तथा तक्षण-कछा की एक विशिष्ट घारा का भम्युदय हुआ ।
किन्तु जमनी के शासक तथा सामन्त तक्षण-कला, कविता था दर्शन के उतने
उपासक न थे। उनकी सास्क्ृतिक भावनाओं का उद्देश्य अनोखी वस्तुएं एकन
करना ही था--हर तरह की विचित्रताएँ जैसे एक ही सीगवाले काले घोड़े का
सोय, अन्तरिक्ष से यटूदियों की यात्रा के बीच ईश्वर-प्रदच भोजन का भाग,
जल्स्ती की पु्छ, शुतुस्मुर्ग का अण्डा और मरे हुए मगर का बच्चा । उनके
घमण्डी मालिक इन एकत्र की हुई वस्तुओं को “वन्डरकेमर्न” यानी जादू का
घर कहते थे और उन्हें उन्हीं विश्विष्ट व्यक्तियों को दिखाते थे जिनके प्रति
उन्हे विशेष कृपा दिखानी होती थी। बाज हमे ये “आहवर्यजनक वस्तुएँ”
श्छ
फा० हे
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