कुमारपालचरित्र | Kumarapal Charitra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
286
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१७
कारकी प्रथा, इस देश ( भांरतवर्ष ) में-तथा अन्य देशों
में, भाचीन काल से चली आ रही है, और चल रही
है ।.... .-« »»«पुख्त उम्र वाछे को ही साधु बनाना चा-
हिए; यह् नियम है अच्छा, परंतु अन्य सभी धर्मों में
देखा जायगा तो इस तरह अल्पवय वाले ही, बहुत से.
नवीन आचाये पसंत किए गए मालूम देंगे ।?
'. विद्याश्यास। ,
पूर्व जन्मके सुर्सस्कार और क्षुयोपशम की प्रवढृता
के कारण थोडे समयमें ही, देमचंद्र सुनि ने सर्व शा्तरों:
का अध्ययन कंर, पांडिल ग्राप्त कर लिया। सरण-शक्ति
ओर धारणा-शक्ति बहुत . तीत्र होनेसे अल्प परिश्रम से:
हो अपार ज्ञान संपादन कर लिया | विद्याभिरुचि अत्यंत:
तीत्र होने के कारण भगवती सरखती. देवी प्रसन्न हो-
कर, स्॒यं वर प्रदान करने के लिए आई थी!
जितेन्द्रियंता |
आप का आत्मर्सययमन और इंद्वियदूमन अल्यंत
श ,
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