कुमारपालचरित्र | Kumarapal Charitra

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Kumarapal Charitra by श्री ललित विजय - Lalit Vijay

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१७ कारकी प्रथा, इस देश ( भांरतवर्ष ) में-तथा अन्य देशों में, भाचीन काल से चली आ रही है, और चल रही है ।.... .-« »»«पुख्त उम्र वाछे को ही साधु बनाना चा- हिए; यह्‌ नियम है अच्छा, परंतु अन्य सभी धर्मों में देखा जायगा तो इस तरह अल्पवय वाले ही, बहुत से. नवीन आचाये पसंत किए गए मालूम देंगे ।? '. विद्याश्यास। , पूर्व जन्मके सुर्सस्कार और क्षुयोपशम की प्रवढृता के कारण थोडे समयमें ही, देमचंद्र सुनि ने सर्व शा्तरों: का अध्ययन कंर, पांडिल ग्राप्त कर लिया। सरण-शक्ति ओर धारणा-शक्ति बहुत . तीत्र होनेसे अल्प परिश्रम से: हो अपार ज्ञान संपादन कर लिया | विद्याभिरुचि अत्यंत: तीत्र होने के कारण भगवती सरखती. देवी प्रसन्न हो- कर, स्॒यं वर प्रदान करने के लिए आई थी! जितेन्द्रियंता | आप का आत्मर्सययमन और इंद्वियदूमन अल्यंत श ,




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