राजस्थान के अमर शहीदों की कहानियां | Rajasthan Ke Amar Shahidon Ki Kahaniyan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
92
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हे आधहबफरे: व5
कपरीसिहबरहट: 23.
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युवापीढ़ी जाग गई। केसरीसिंह बरहटके साथ राजस्थान के
अनेक विष्लवी थे जिनमें भूषसिह, ठाकुर गोपाल सिंह, माणिक
लाल वर्मा प्रमुख थे । इन संगठनों में अनेक पुरुष और स्त्रिां
सम्मिलित होती गईं। तत्कालीन समय में एक प्रकार से राजस्थान
के बिप्लव का नेतृत्व केस रीसिंह वरहट के ऊपर था ।
केसरी सिंह बरहठ के समय में मेवाड़ के सिंहासन पर
महाराजा फतेह सिंह विराजे.थे,। महाराजा फतेह सिंह की सेना
में केसरी सिंह वरहट थे। वे राज्य के कार्यो को संभालते हुए समय
निकालकर विप्लवियों को संगठित करते । महाराष्ट्र, गुजरात,
मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के विप्लवियों को राजस्थान की
ब्रिटिश अधिकारवादी शक्तियों के बारे में सूचित करते | महान
विप्लवी रासविहारी बोस के साथ भी उनका प्रगाढ़ संबध था।
विप्लवियों के मेतृत्व-कर्ता के रूप में रासबिहारी बोस प्रसिद्ध
हो गए थे। वीर केसरी सिंह वरह॒ट के पुत्र रासविहारी बोस के
सम्पर्क में आए और उनसे विप्लव करने के अनेक कार्यो को
सीखा। पिता अपने पुत्र प्रतापरसिह को बिप्लवकारी कार्य में सक्रिय
देखते तो उनके मन में प्रसन्नतः के फूल खिल उठते और प्रताप
सिह को जादीर्चाद देते कि वेठा “राजपूत एक बार जो भी ठान
लेता है चह जिन्दगी के अनेक कष्टों को झेलता हुआ भी पूरा
करता ही है ।” वीर केसरीसिह बरहट की इस वाणी ने प्रताप
पिह के ऊपर जादू कर दिया। और वे राजस्थांस के विप्लव
कार्यो में लोकप्रिय होते गए ।
महाराणा फतेहरसिह स्वतंत्रता के एक सच्चे पुजारी थे।
उन्होंने कभी भी ब्रिटिश राज्य को हस्तक्षेप करने नहीं दिया।
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