मालकौंस | Malakauns
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
785 KB
कुल पष्ठ :
122
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)तीन जन
नदी वी रेत पर
पानी से अभी-अभी निवले ऊदविलाव की
धूप म॑ चमकती मूछें देखने वे बाद
बह छोट-छांट पीले फूलो से लद
बबूल पे जगल पार वर
अपने लाल खपरेल और हरी जाफरीवाले
मवान में लौट आया।
दरवाज़ा सोलने वे वाद
किसी नारी-कठ ने दवी आवाज़ से
पूछा था
“कौपन २”
हालांकि वह अबेला रहता था।
बरामदे का हरा लवडी वा दरवाज़ा
खोलकर
किसी के बाहर निकलने की आहट हुई थी,
ओर उसने सहमी आवाज़ में पूछा था--
“कौन | !!
चहा तो कौन था २
बहने वी तीन जन---
मानव तन, मानव सन,
ओर सनसन पवन |
1980
मोलकौंस 2
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