भारत - चीन सम्बन्ध राजीव गांधी से अटल बिहारी वाजपेयी तक | Bharat Chin Sambandh Rajeev Gandhi Se Atal Bihari Vajapeyee Tak

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Bharat Chin Sambandh Rajeev Gandhi Se Atal Bihari Vajapeyee Tak by अनन्त कुमार - Anant Kumar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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10 ने चीन की नई सरकार से मित्रता का आह्वान किया, उसको विश्व समुदाय की मुख्य धारा मे लाने की नीति अपनाई और सम्पर्क बढाने तथा शत्रुता और शका को कम करने की चेष्टा की। नेहरु ने भारत की नीति को नई दिशा देकर यह अपेक्षा की कि चीन के साथ कोई सघर्ष न हों तिब्बत का प्रश्न और भारत-चीन सम्बन्ध तिब्बत भारत के उत्तर मे स्थित है। भारत के अतिरिक्त उसकी दक्षिणी सीमा पर नेपाल ओर बर्मा, तथा उत्तरी सीमा पर चीन का सिक्याग प्रान्त स्थित है। तिब्बत का कुल क्षेत्रफल लगभग 47,000 वर्गमील है। इसकी राजनैतिक व्यवस्था बौद्ध परम्परा पर आधारित थी। तिब्बत के धार्मिक नेता दलाई लामा वहीँ के राज्याध्यक्ष भी हुआ करते थे। चीन के साथ तिब्बत के सम्बन्धों की कोई स्पष्ट व्याख्या नहीं की गयी थी। पिछले 1000 वर्ष के इतिहास में तिब्बत अधिकतर एक स्वतंत्र देश रहा है। बीच-बीच मे चीन में जब निरंकुश शासक हुए तो उन्होने तिब्बत पर एक ढीला-ढाला नियंत्रण रखा और तिब्बत से सालाना “सलामी” (कर) वसूलते रहे। परन्तु अनेक बार ऐसे मौके आये जब तिब्बत के शासको ने चीन पर राज्य किया और चीन को तिब्बत को “सलामी” देनी पडी ।”* 18 वीं शताब्दी में छठें दलाई लामा के उत्तराधिकारी के प्रश्न पर तिब्बत ओर मंगोलिया मे तीव्र मतभेद उत्पन्न हो गए। चीन ने तिब्बत की राजधानी ल्टासा पर अपना नियत्रण स्थापित करके स्वेच्छा से सातवें दलाई लामा का चयन किया। सन्‌ 1890 मे भारत की ब्रिटिश सरकार नै चीन के साथ एक सधि पर हस्ताक्षर किये जिससे भारत-तिब्बत सीमा निर्धारित की गई। इस संधि को तिब्बत के शासको ने अस्वीकार कर दिया। इसी दौरान रुस ने तिब्बत के आतरिक मामलों में हस्तक्षेप करना आरम्भ कर दिया ताकि वह उसे अपने प्रभाव में ला ° वी.एन.खन्ना,. लिपक्षी अरोडा; भारत की विदेश नीति, नई दिल्ली 2000, पृ0 138 » डा0 गौरी शकर राजहंस, हम तिब्बत की अनदेखी नहीं कर्‌ सकते , हिन्दुस्तान (लखनऊ) 22 नवम्बर 1998




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