इटली की कहानियाँ | Etali Ki Kahaniyan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : इटली की कहानियाँ  - Etali Ki Kahaniyan

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about मक्सिम गोर्की - maxim gorki

Add Infomation Aboutmaxim gorki

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
फट गद्रा हो। तोप के धमाके से को तीखी ग्रश्चे - जैतून के तेल घुल की ग्रधे - अधिक नीद्रता में तोप के भारी धमाके से दब जानेवाला गर्म दक्षिणी नगर को कोलाहल जो क्षण भर को सड़क के नपे हुए पत्थरों से चिपक गया था फिर से सइको के ऊपर उठा और एक नौडी , धृघली नदीं के रूप में सागर की ओर वह चला। नगर किसी पादरी के बढ़िया कज्ौंदावाले जामे की तरह समारोही रूप से चटकीला और रख-विस्या था। उसरी आवेशपूर्ण चीखो-चिल्लाहटो धडकनो-स्पन्दनों और आहो-कराहों में प्रभु की आराधना की तरह जीवन-गान गरूज रहा था। हर नगर मानव-शथ्रम से वना हुआ मन्दिर है हर कार्य भविष्य की प्रार्थना है। सूरज अपने झिखर पर था. दहकता हुआ नोलाकाश आसे चौधिया रहा था मानो उसके प्रत्येक अश से जलतो हुई नीली किरण पृथ्वी और सागर पर नीचे गिर रही थी जो नगर के हर पत्थर और पाती में गहरी घुस जात्ती थी। सागर रपहली कझीदावारी से खूब सजे रेशमी कपड़े की तरह चमक रहा था और तनिक हरी, गुनगुनी लहरों की स्वप्निल गति से तट की छूने हुए जीवन और सुख-सौभाग्य के सोत अर्थात्‌ सूर्य वी महिमा का धीमा-धीमा और बुद्धिमतापूर्ण स्तुति-्गान गा रहा था। धूल में लथपथ और पसीने से तर लोग खुशीभरी और ऊंची आवाजों में बातचीत करते हुए दिन का भोजन करने को भागे जा रहे थे, अनेक सामर-तट की ओर तेजी से कदम ग्श




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now