भास्कर प्रकाश | Bhaskar Prakash

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Bhaskar Prakash by ज्वाला प्रसाद - Jwala Prasad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(२) ल्‍ जो पर छेखनी न चलाते फ्योंकि ऐसे ५ व्िपयों अग्निहोत्र, प्रह्ाचये आदि. घिषयक्त लू को तौ सर्वसाधारण हिन्दू मानते ही हैं | परन्ठु उन को ती यह कद्दावच चरितार्थ करनी थी कि- येन केन प्रकारेण कुण्यत्सवेस्थ खण्डनम्‌ जैसे बने वैसे सब का खणडन करना । चाहे सत्यहो चाहे असत्य परन्तु संसःर यह ठौ जाने द्वीगा कि स्वामी दधाननन्‍्द्सरस्वती जी इतने बड़े धिद्व'न्‌ प्रत्निद्ध थे, उनका खरंड | पं०ज्वालाप्रसादंजी ने किया ती यह भी कोई बड़े घिद्वान होंगे । घप्त शेसे ही कारणों से प्रसिद्धि का उपाय निकाला गया द्े-अस्तु । हम का इणप से प्रयांजन नदों | पं० ज्याछावसाद जो से ११५ सम्तुटठासों का खपठन क्रिया है । हम क्रमश: उनकी समीक्षा करेंगे, कर्धात्‌ यदि यथार्थमें कोई भूल रुत्यार्थप्रकाशम रोगों ती स्वीकार करेंगे और मिथ्या शंकार्भी का निरास करेंगे, जिससे रूप साधारण को संत्यार्थप्रकाश के निर्माता का शुद्ध धर्म भाव प्रऊकय हो कर घेदक धर्म का प्रकाश दोधे | इति ॥ मेरठ ६1 ६। 58 ६० दलसीराम स्यारीे रावृत्ति २० 1 १२! ४ में छएी ओर पिराृू त्त (१५1६। १६ में द० तमि० भा० त्रिरावृत्ति के ६४ पृष्ठों तक के नोहुस का उत्तर। और :सायलताज के १० नियतों का मएडन भी छुद्दनछाल खामीपृत घढ़ाया गया था। चदु उद्विक्ति में फठ नहीं चढ़ाया गया है ॥ छुट्दनछाल सूवामी इस में नीचे टिखे ग़्न्‍्धां के प्रराण दिये गये हैं १जदन्‍्ऋणगणू,बज :,सास,अथ |३-बेदाकुन्भप ध्यययो महाभा- र-जाहझणन्साम, गापथ ष्यि,निरुक्त रितुसन्‍्तशिरेमण्ण शत्तप्रथ एंतरय,ताण्स्य,पड1४३ ६-दृशन-गैतम कणाद कपिल रेउप प्र >बाज -नेय, तल- पिदउजलि, झीमिमविकी:्व् पासकऊ़े वक्ार,कठ मशज्ञ सुण्डकमस्ताण्ड +- इतिह् र-पहाथारत क्य,तर्वतरीय,,ऐतशेप, छात्दे।- ८-पुरा णाएएभा सब्भाग वत न्य, दृहदा रश्यक, श्वेताश्बत्तर,-तःल्मो की बर। भाषण मद्युपानपतु, केबल्थे।पनिषत [०-सकतत ४-रम्टालि>मनु, याज्षवबलका (१-चरक , पा डए, राख, बसिष्ठ ॥... २-अमरकीश शल्य छ




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