राजस्थानी पद्य संग्रह | Rajasthani Padya Sangrah
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
132
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)>ए बांकीदास आसिया
बांकीदास आसिया रो जनम पंचमदरा परगना में भांडियावास गांव में
हुवों । सल्हूपोत रे भणाई जोधपुर में हुई । वांकीदास री गणना राजस्थानी
रा प्रसिद्ध कवियां में की जावे | आप जोधपुर नरेस मानलिह रा राज कवि हा
दरबार में आपरी घणी धाक ही । जोधपुर नरेस आपने लाख पसाव दियो अर
'कविराजा री उपाधि सू विभूषित किया ।
वांकोदास आसिया री लिखी छोटी सोटो इगताछीस पोथियां मिले ।
वांकोदास ग्रस्यावली' रा नाम सू' आपकी रचनावां प्रकाशित हुईं । वीर रस,
श्र, गार' रस अर नीति सम्बन्धी दृह्ा आपरा सिरे काव्य है। डियल गीत आपरा
वेजोड़ है ।
प्रस्तुत संकलन में बांकीदास रो एक प्रसिद्ध गीत लीनो जिण में कवि
विदेसी शासन रे विरुद्ध राजावां ने चेताया अर हिन्दू-मुसछमान री मेकप पर
वेछ दियो | उगण सम रजवाड़ां में अंगरेजां रे हाथा राज सूपण रो होड
माचगी ही। राजावां री आ करतृत बांकीदास रे हिये अणू त्ती साल््ही । इण
डिगल गीत में बाही कसक मिले ।
हा
प्. गीत
आयो इगरेज मुलक रे ऊपर, आंहेस लीधा खेंचि उरा।
बाणियां मरे न दीधो धरती, धणियां ऊभा गई घरा ।
फोजां देख न कीधी फौजाँ, दोयण किया न खल्ठाडढ्ां ।
खा खाँच चूड़े खाँवदरे, उगहिज चूड़ गई यह्का।
छत्र पतिया लागी नह छाणत, गढ़पतियां धर परी ग्रुमी ।
पढ्ठ नह कियो बापड़ा बोतां, जोताँ जोंताँ गई जमी ।
दुव चत्रमास वादियों दिखणी, भोम गई सो लिखत भवेस ।
पुगी नहीं चाकरी पकड़ी, दीधो नहीं मर्ड़ोठो देस ।
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