राजस्थानी पद्य संग्रह | Rajasthani Padya Sangrah

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Rajasthani Padya Sangrah by कोमल कोठारी - Komal Kothari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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>ए बांकीदास आसिया बांकीदास आसिया रो जनम पंचमदरा परगना में भांडियावास गांव में हुवों । सल्‍हूपोत रे भणाई जोधपुर में हुई । वांकीदास री गणना राजस्थानी रा प्रसिद्ध कवियां में की जावे | आप जोधपुर नरेस मानलिह रा राज कवि हा दरबार में आपरी घणी धाक ही । जोधपुर नरेस आपने लाख पसाव दियो अर 'कविराजा री उपाधि सू विभूषित किया । वांकोदास आसिया री लिखी छोटी सोटो इगताछीस पोथियां मिले । वांकोदास ग्रस्यावली' रा नाम सू' आपकी रचनावां प्रकाशित हुईं । वीर रस, श्र, गार' रस अर नीति सम्बन्धी दृह्ा आपरा सिरे काव्य है। डियल गीत आपरा वेजोड़ है । प्रस्तुत संकलन में बांकीदास रो एक प्रसिद्ध गीत लीनो जिण में कवि विदेसी शासन रे विरुद्ध राजावां ने चेताया अर हिन्दू-मुसछमान री मेकप पर वेछ दियो | उगण सम रजवाड़ां में अंगरेजां रे हाथा राज सूपण रो होड माचगी ही। राजावां री आ करतृत बांकीदास रे हिये अणू त्ती साल्‍्ही । इण डिगल गीत में बाही कसक मिले । हा प्‌. गीत आयो इगरेज मुलक रे ऊपर, आंहेस लीधा खेंचि उरा। बाणियां मरे न दीधो धरती, धणियां ऊभा गई घरा । फोजां देख न कीधी फौजाँ, दोयण किया न खल्ठाडढ्ां । खा खाँच चूड़े खाँवदरे, उगहिज चूड़ गई यह्का। छत्र पतिया लागी नह छाणत, गढ़पतियां धर परी ग्रुमी । पढ्ठ नह कियो बापड़ा बोतां, जोताँ जोंताँ गई जमी । दुव चत्रमास वादियों दिखणी, भोम गई सो लिखत भवेस । पुगी नहीं चाकरी पकड़ी, दीधो नहीं मर्ड़ोठो देस ।




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