ब्रह्माण्ड का रहस्य | Brahmand Ka Rahasy

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Brahmand Ka Rahasy by धनराज चौधरी - Dhanraj Chaudhary

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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तारे हमारा ब्रह्माण्ड भौतिक शास्त्र की बृहदुब्रम प्रयोगशाला है। श्राकाशीय पिण्डो को वस्तु मानकर जो वज्ञानिक भ्रनुसधान भ्रध्ययन किया जाता है उस शाखा को सग्ोल भौतिकी कहते हैं। खगोल भौतिकी स्वय ही एक विषय है-- पर्याप्त विस्तार लिया विषय । यहा भौतिकी की मात्रात्मक विधियों उपक्रणो का प्रयोग होता है । उदाहरणा्ें किसी तारे से प्रा रहे प्रकाश को हम वणक्रम एवं छामा चित्रो द्वारा प्रेक्षित करते हैं। इस प्रकाश से हमे तारे की भ्राकाश म॑ स्थिति गति उसका तापमान उसमे विद्यमान ग्रैंसें, नाभिकीय भ्रभिन्नियाएं श्रादि कई जानकारियाँ प्राप्त होती हैं। वस्तुत तारो की रहस्यमयी दुनिया की सर के लिए में हमारे भावश्यक प्रथप्रदशक हैं । हमारा सूर्य एक तारा है। सबसे नजदीक का एकमात्र तारा। तारा, पर्थात्‌ वह झाकाशीय पिण्ड जो स्वय दही ऊर्जा का स्रोत है। सूम के भतिरिक्त तीन श्रौर तारे पृथ्वी के समीप हैं। फिर भी नग्न नेत्रो द्वारा तो इनमे से मात्र एक ही दिखलाई देता है । यह है भल्फा सेंतारी (81908 (९४4४1) । प्रल्फा सेतारी एक जोडा तारा है। इसकी पृथ्वी से दुरी 44 प्रकाशवप है । एक प्रकाशवपष लगभग 1018 किलोमीटर दूरी होती है। भ्रत भनुमान लिया जा सकता है कि सूय के झतिरिक्त यह दृश्यतारा हमसे कितना दूर है। इसके समीप का तारा है प्रोवित्तमा सेतारी (77०ग्या०४) | वस्तुत भल्‍्फा सेंवारी जोड़े से भ्रोक्सिमा सेतारी हमारे नजदीक है। यह दूरी है 43 प्रकाश बपष। सिरिप्रस (57103) तीसरा तारा है जिसे हम पृथ्वी वे समीप के ठारो में गिनते हैं ५ यह 8 प्रबाशदप दूर है। तुलना के लिए यह जान लेना उपयोगी होगा कि सूप से धरती पर प्रकाश भाने मे 8 मिनट का समय लगता है जबकि सिरिप्रस से छूटा प्रकाश जेब तक हम तक पहुचेगा 8 बप व्यतीत हो चुके होंगे । मात्रात्मक झनुमान वे! लिए, पृष्वी से पचास प्रवाश वष की दूर पर लगभग एक हजार तारे हैं। मगर वे नग्न भाँखों से दिखलाई नहीं देत हैं। हमे जो तारे दिखलाई दे रहे हैं वे वस्तुत बहुत दूर हैं परन्तु भधिक चोंघ लिये हैं इसलिए दिश्वलाई दे रहे हैं। वारो का भाकाश में घतत्व एक तारा भ्रति 300 प्रवाशवर्ष का धन है । इस घनत्व मान में परिवर्तन भी सम्मावित है श्योंकि हो सकता है तारे धौर भी हो जो हमारी गसवा में भशानवश न भा पाये हो ।




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