उत्तराधिकार | Uttaradhikar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
177
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)चाए्रे साहब से मिला था में । कुछ ग्रडचने बता रहे थे वे 1
अब नही कहगे पे । इश्डस्ट्री मिनिस्टर ने उनसे घात कर ली थी। सारी
समस्या पैसा को है। वह भी कर दिया है सने । पाण्दे साहब प्रपत्न हैं भव ।
आप कैयल यही बह भ्रेयांस बाद के सचिव हैं भाप । हो प्राय्यें भाप । प्रभी
भॉफ्सि में ही हु 1 बाई दिन्कत हो तो फोन पर मुझसे बात करें ।
नही श्रव क्या परशानी हो सकतो है । चल में ।
माशिक कमरे से बाहर लिकल पाते हैं ।
श्रेयातजी । आपके उपकारो से क्से उऋच हो पाऊँगी मैं ।॥ भाषके मत
फो विशालता को कोई सीमा ही नहीं है ॥
ऐसा कुछ भी नहीं | तुम्हाय भी क्तिता सहयोग है सुर्के । सच तो यह
है कि बिता विश्वासपात्र लगा के इतने बडे प्रतिकन चलाना फठित काम है ।
मिलजुल कर जितता हो जाये काफी है। उस दिन कोई दिक्कत तो नहीं हुई
ना।
नहीं 4 कोई विशेय नहीं । हरिवाबू जागने पर मेरे कमर में भा गये थे ।
सुबह दीनो ने साथ ही नाश्ता क्या । मेरी गाडी से ही घर लोटे थे वे ।
प्रापकी प्रशता करत रह थे ।
मेहरबानी है उनवी 1 उनका पूरा सहयोग है मुझे । चार मिल्स तो उही
के सहयोग से लगे हैं जब वे उद्योग मरी थे। जमीनें दिवाना, विदेशी मशीनों
के झ्रायात को सुविधा, श्रधिरततम रुपया सरकार से दिलवाने जसे काम बडी
सहजता से करवा दिये थे उन्होने । पुर राज्य म भीमण्डल में प्रभावशाली
सतिया की श्रेणो मं भ्राते है। उधर केरद्र की राजनीति में भी भ्रपसी दाग
अ्रडाऐ रखते हैं। राज्य भौर केन्द्र दोनों जगह एक जबदस्त प्रभामण्डल बता
रखा है उद्दोंने। कई बार मजाक में कह भी देता हू उन्हें मुख्यमन्त्री क्यो
नही वन जाते । जवाब में बहते हैं विंग मेकर हैं मे । गहते हैं राजा बनने से
भ्च्छा है राजा बनावर शांक्तशाली बने रही। तुम्हारी प्रशशा करत नहीं
थकते दे !
मुझे भी कहते रहते हैँ ॥ पता नहीं कया देखते हैं मुकमे 1 पामन्न से हो
जाते हैं भ्ौर मेरे पात ध्ावर तो वे 1
तुम कह रही हो तुम्हारे मे क्या देखते हैं वे । तुम्हारे मे कया नही है। सच
पो यह है तुम्ह पाकर तो कोई भी पागल हो सकता है ।
डा
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