हस्तलिपि - विज्ञान | Hast Lipi - Vigyan

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Hast Lipi - Vigyan by बालकृष्ण मिश्र - Baalakrishn Mishr

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बरता है उसी प्रकार स उसकी ल्खावर समय एवं परिम्थिति व अनुरूप प्रतशित हाती रहती है। लिखावट का भौतिक आधार प्रत्येक भाषा वा लिखित रूप हाता है। जसे अग्रजी भापा रोमन क्षक्षरो मे ल्खी जाती है। हिंटी भाषा देवनागरी डिपिम टिखी जाती है । मराठी मापा भा देवनागरी म ही है। गुजराती भाषा भी दवनागरी स मिलती जुल्ती है। बंगला ब असर भी बहुत कुछ दसी आधार पर मात जा सकत है। हुन सब रिसित भाषाओं मे बहुत-सी बातें समान हैं। उस वाइ आर से दाइ ओर वा ल्सिना मात्राए लगाना असरावों मिलाना अनुस्वार विराम, अधविराम आटि या प्रयोग करना । हिखना सीखने के लिए इत भाषाआ वा अपना एक निजी रूप है। स्थायी आयार हु। अक्षरा के तथा मात्राआ आि के निश्चित रूप है। ये स्थायी आकार छोटी वक्षाआ के विद्योथिया के निर्रेशन के लिए उदाहरण वे रुप मे कापिया म पे हुए आते हैं। अध्यापपगण बहुघा बच्चा को इन वापियां पर हो सुटेस का अम्यास बराने वा प्रव घ बरते हैं । अहरा वी रुम्याई और चौडाई भी निर्धारित है। साधारणत अंग्रेजी के अक्षर चौथाई से तिहाई इच तक लम्य तथा चौड़े लिखने का अभ्यास किया जाता है । इन बाता व” अतिरिवत ल्खावट मे एसी भौतिक परिस्थितिया वा ध्यान नी रणा लाता है जिनसे सुझेख सुगम हा जाता है और नित्य व अम्यास स॑ बारका के स्वास्थ्य पर भी अनुचित दवाव नहा पड़ता । जम वि लिखने बठन वी सही विधि जमीन पर हा अयवा डरक या मज पर यथोचित प्रवा वी सुविधा 7सनी वर सही तरह से पालना और घरटाना सपाई वा ध्यान रखना आाहि। ये एसी बातें हैं जो सर लिखित भाषाआ वे रिए झयृ हैं। जब छिसत वारा व्यकित सिखने व रिए मही विधि स बढता है तथा डिगन म॑ साधना या उचित प्रयोग करता है तो उसके अगा पर अनुचित भार नहां पहता। साथ हा उसका डिसावट भी स्पप्ट स्थिर शव सुब्ययस्थित बनती जाती है। डिसिन बा क्रिया स थशान पहा नहा होती और ज्ियाव सपटतापुवव गम्पन हान से ऑप्मित सन्‍्तोष नौ प्राप्त होता है। अत आायायफ है हि लिखने मो जिया का उचित अस्याप विलावाट व प्रारम्भ से हा होना चाहिए । डिगना सासन वाल विद्ार्यी बाट पा युवा गए टियावल बे उपरत्णि हुए आधार पर टिसाा सीखना प्रारम्भ बरत हैं। अध्यापरगण भा सुटुय का ध्याय रखने हुए ऊपर हिए हुए आपार पर हा अम्यास यरात हैं। लिसिन वा हसहिपि और स्यरितत्द २७




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