इटली की स्वाधीनता | Italy Ki Swadhinata
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
108
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)तींसरा परिच्छेद
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पूर्वदशा का दिर्दर्शन
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संसार में ऐसी फोई जाति अथवा देश नदी है, जिसको
काल की कुटिल गति के सामने सिर न क्ुझाना पड़ा हो। या
ता समय समय पर सभी देशों का उत्त्यान और पतन होता दा
रहता हे, पर यूरोप के देश में काल की कुरिछ गति के जितने
थपेद्टे इटली ओर श्रीस* ने पाये हे, कदाचित् उतने वहा किसी
अन्य देश मे नहीं खाये हैं। एक समय था कि इटली कौर यूनान
उन्नति की चोटी पर पहुँचे हुए थे । इनके बल, पेण्यय्यं और
सामर्थ्य को देख कर अन्य देशों का कलेज़ा ददलता था। उस
समय इटली और यूनान यूरोप फे अन्य देशों के गुरु थे। अन्य
देशों ने विज्ञाप, गणित, काव्य, चित्रकारी, शिल्प, सज्जीत श्रादि
आस की दशा पर पुक सहदय कवि के निम्र वाक्य पढ़ने योग्य है --
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किसी हिन्दी कवि ने उपयुक्त पथ का हिन्दी भ्जुवाद यह किया ऐ --
“ड्रेस है, पर ग्रीस यह, अब हाय ! प्राशविद्दीन है।
है मधुर अर सुघर पर निश्े्ट है प्र छीय हे ।
सापेक्ष्य इसमे जीव ऐे, पर जीवद्दीव मल्तीन है ।
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