संक्षिप्त विहारी | Sankshipt Vihari
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
204
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about रमाशंकर प्रसाद - Ramashankar Prasad
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १७ )
सोन्दर्य दिखाते हैं । आर हर एक के लिए उपयुक्त श्रा.
वर्णन देते हैं । दूसरे वात यह है कि हिन्दी कवि अलका<$
रस ओर भाव यहुत पसखद फरते हैँ तथा मानसिक दशाओं का
पूरा चित्र अलंकारों की सहायता से सरस भाषा में दिखाते
हू । श्रंगरेजी की उपमाएँ तथा अन्य श्रल्कार, रखभेद, नायक-
' नायिका भेद् इत्यादि हिन्दी की उपपाओं आदि के सामने कुछ
नहीं हें '। प्रसगानुसार कद्दीं फह्दीं टीफा के भीतर ही दृप्टात दे
दिये जायेंगे पैकित इतना लिस देना अनुचित न होगा फि पिहारी
के दक्कर फा कवि ऑगरेजी भाषा में पाना अत्यन्त कठिन हद | रत
डे
$ इस कथन से अंगरेजी साहित्य की निन्दा न समझनी चाहिए। उस
साहिद्य-सागर में भी कितने ही गुण हैं जो हिन्दां तथा अनेक अन्य भाषाथे।
में रहुत कम मिलते हैं तथापि उपस्युक्त दे गुण में, जो बिहारी में तहु-
तायत से मिलते हैं, भ्ैंगरेजी साहित्य सामन् नहीं खडा हे। सकता ।'
२ म्वयय ग्रीयसेन साहब लिणते है * छा 1.
प्षठ एशशा. 066 पा चृधणाफ्श्णा.. रण गाताय, ऐप |
660 गण (धरा (198 छा60क 10 07 27) 01 15 ७छा०0067 )) घ० 06६
01 प्रा्र0प्रश्ञाता ७7 96 प्रड्शपर। एणाएश९त ऊा।)।. 77. 'ए6४७श
[00॥..4 'ा0ए ग्रणतावए्ट वार0 का एशइएच गा छाए सिकातकृरका
18781289. 0 # ए७ #वा6प्र/क1 धान. शाणी 0०0फ््व॑
18 ए0णराए]€8 ॥ 150७६ फकणा 0७96 1109 926 676 एण6
गा ९176 [10.ए98,--7िख्याय8 जाएं शी ।
[ छिद्दारीशाल भारतीय छॉमसन साना सया है । परन्तु मैं नहीं समझता
कि उसकी श्रथवा उसके सद्श अन्य किसी भारतीय गीति-कवि की छामद्ाप्रक
(उचित रूप में ) छुलना किसी पारचात्य कवि से की जा सकती है । सुम्ते
किसी भी येररपीय सापा में उसके पदों के सदश पद नहीं सालूम हँ।
स्मरण रहे कि प्रयेक दोहा स्वय संपूर्ण है. भरत्येक दोहा एक
समष्टि होना चाहिए--एक पूरा चित्र,--चाखट ओर सब ,(छुछ ) ]
२
User Reviews
No Reviews | Add Yours...