संक्षिप्त विहारी | Sankshipt Vihari

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Sankshipt Vihari by रमाशंकर प्रसाद - Ramashankar Prasad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १७ ) सोन्दर्य दिखाते हैं । आर हर एक के लिए उपयुक्त श्रा. वर्णन देते हैं । दूसरे वात यह है कि हिन्दी कवि अलका<$ रस ओर भाव यहुत पसखद फरते हैँ तथा मानसिक दशाओं का पूरा चित्र अलंकारों की सहायता से सरस भाषा में दिखाते हू । श्रंगरेजी की उपमाएँ तथा अन्य श्रल्कार, रखभेद, नायक- ' नायिका भेद्‌ इत्यादि हिन्दी की उपपाओं आदि के सामने कुछ नहीं हें '। प्रसगानुसार कद्दीं फह्दीं टीफा के भीतर ही दृप्टात दे दिये जायेंगे पैकित इतना लिस देना अनुचित न होगा फि पिहारी के दक्कर फा कवि ऑगरेजी भाषा में पाना अत्यन्त कठिन हद | रत डे $ इस कथन से अंगरेजी साहित्य की निन्‍दा न समझनी चाहिए। उस साहिद्य-सागर में भी कितने ही गुण हैं जो हिन्दां तथा अनेक अन्य भाषाथे। में रहुत कम मिलते हैं तथापि उपस्युक्त दे गुण में, जो बिहारी में तहु- तायत से मिलते हैं, भ्ैंगरेजी साहित्य सामन्‌ नहीं खडा हे। सकता ।' २ म्वयय ग्रीयसेन साहब लिणते है * छा 1. प्षठ एशशा. 066 पा चृधणाफ्श्णा.. रण गाताय, ऐप | 660 गण (धरा (198 छा60क 10 07 27) 01 15 ७छा०0067 )) घ० 06६ 01 प्रा्र0प्रश्ञाता ७7 96 प्रड्शपर। एणाएश९त ऊा।)।. 77. 'ए6४७श [00॥..4 'ा0ए ग्रणतावए्ट वार0 का एशइएच गा छाए सिकातकृरका 18781289. 0 # ए७ #वा6प्र/क1 धान. शाणी 0०0फ््व॑ 18 ए0णराए]€8 ॥ 150७६ फकणा 0७96 1109 926 676 एण6 गा ९176 [10.ए98,--7िख्याय8 जाएं शी । [ छिद्दारीशाल भारतीय छॉमसन साना सया है । परन्तु मैं नहीं समझता कि उसकी श्रथवा उसके सद्श अन्य किसी भारतीय गीति-कवि की छामद्ाप्रक (उचित रूप में ) छुलना किसी पारचात्य कवि से की जा सकती है । सुम्ते किसी भी येररपीय सापा में उसके पदों के सदश पद नहीं सालूम हँ। स्मरण रहे कि प्रयेक दोहा स्वय संपूर्ण है. भरत्येक दोहा एक समष्टि होना चाहिए--एक पूरा चित्र,--चाखट ओर सब ,(छुछ ) ] २




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