ढलती फिरती छाया नाटक | Dhalati Firati Chhaya Natak

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Dhalati Firati Chhaya Natak by भगवती प्रसाद - Bhagwati Prasad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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* उलती फिरतो छाया नाटक । श्छ मोजीराम--थारोई जोमा हा। महेतो आज या बातई: देखे घा। ) लिछमो--बस के, जणातों वेरों पश्यो । मोजोराम--जद मो अया जौमण लाग ज्यावागा तो श्रोजु थे जोसणेको नामई कोनो लेवोगा। धम्प्रमूत। यो तो उलटा हाथाई घो घव्पा करे है। ' ( इतणाम सुरली खेलतो २ आते है ) सुरलो--( मोजोरामने देखकर ) भ्रा-हा--रे। अगड घत वावी आयोरे। बाबा! रादकिशन २ बोल 1 मोजोराम--धत्तेरो नानौको नाक काटु। बोख, शहरी ओडरी। सोताराम, सीताराम बोल। सुरली--( नाड इलाकर ) बाबा ! रादाकिशव | रादा- किशन | बोल। मीजोराम--क्ोनी मानेके | सार खायगो के १ सुरनी--( हाथका प्रसारा्स) वाया। यो देख तेरी पगडी जुप्टामें रादाकिशन बे व्यो है। मोजीराम--( पगडी छुपे फीककर ) या वाले, देखा इब बी कठे बेठेगो। वावला बेटा! चोरकों नाम नह लिया करे है । मुरलो--बो चोर कया है। त'धोर होगे। मोजोराम--तेरो नानु चोर है। सेंय्यू चोर छ। इ्‌




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