प्रचलित स्त्रोतसार्थ | Prachalit Strot Sarth
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
158
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पुच्छिस्सुण (दीर स्तुति) 21
अन्वयार्थ
हत्थीसुणाए-हाथियो मे जगल्नसिद्ध, एरावणमाहु-ऐरावत हाथी को कहते
है, मियाण सीहो>मृगो मे सिह, सलिलाण गगा>नदियो मे गगा, पक्कखीसु
वा गरुले वेणुदेवे>पक्षियो मे वेणु देव गरुड श्रेष्ठ है, इह निव्याण वादीण5इस
ससार मे मोक्ष वादियो मे, णाय पुत्ते-ज्ञात पुत्र महावीर प्रधान है।
भावार्थ
इन्द्रवाहन रूप में प्रसिद्ध ऐरावत हाथी समग्र हाथियो मे श्रेष्ठ है, पशुओ मे
वनराज सिह प्रमुख है, नदियों के जलो मे गगा जल सर्वोत्तम है, पक्षियों मे
वेणुदेव अर्थात् गरुड प्रधान है उसी प्रकार निर्वाणवादियो मे ज्ञात पुत्र भगवान
महावीर सर्वश्रेष्ठ है ।
जोहेसु णाए जह बीस सेणे,
पुप्फेसू वा जह अरविंद माहु
खत्तीण सेट्ठे जह दंतवक्के
इसीण सेट्ठे तह वद्धमाणे ॥22 ॥
अन्वयार्थ
जहा णाए- जैसे जग जाहिर, वीससेणे जाहेसु>विश्वसेना वासुदेव योद्धाओ
मे, सेट्ठ- श्रेष्ठ है, जहा पुप्फेसु-जैसे फूलो मे, अरविंद माहु-कमल को प्रधान
कहते है, जह खत्तीण> जैसे क्षत्रियो के मध्य मे, दंत वक्के-दन्त वक्र चक्रवती
हा है, तह-उसी प्रकार, इसीण वद्धमाणे सेट्ें-ऋषियो में वर्धमान स्वामी
ष्ठ्है।
भावार्थ
1 योद्धाओ में वासुदेव जगत्मसिद्ध योद्धा है, जेसे पुष्पो मे कमल पुष्प
प्रधान है, जैसे क्षत्रियो मे दान्त वाक्य चक्रवर्ती श्रेष्ठ है उसी प्रकार ऋषियों में
वर्धमान स्वामी प्रधान है।
दाणाण सेट्ं अभयषयाणं,
सच्चेसु वा अणवज्जं वयंति
तवेसु वा उत्तम बंभ चेरं,
लोगुत्तमे समणे णायपुत्ते 123 ॥
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