कल्याण [श्री विष्णु अंक] | Kalyan [Shri Vishnu Ank]

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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। पूरणस्य... पूमादाय . पूर्गमवावशिष्यते ॥ कि रर्श्कूक ््ि ्प् भु रे . हु छा दस 1 रे री शो प्‌ तर 16५ 1 1 दि हा । [ दि गए की ्ग रत 4 गे व १2 2 की पदस्स्ट्लिय -जीसपर 12/4८/2120. अपन धउपास्नदावसवा 1424. बस्मनकापताएपन पत०नाण मे कि अविकौराय _ शुद्धाय . नित्याय . परमात्मने । सदैकरूपरुपाय . विष्ण॑वि सर्वजिष्णवे ॥ . नमों हिरण्यगभाय . .हरये शंकराय च । चासुद्देवाय ताराय - सगस्यित्यन्तकारिंणे ।। - हे कि के न का गत कर्क वि __ _ . .. . .... (श्रीविष्णुपुराण श। २1१८२) दा दा सदर ्प्यो वर्ष ४७ र .. गोरखपुर सार माघ श्रीकृष्ण संबत्‌ ९१९८ जनवरी १ ९७९ ) कर बाय (५ विष्णुसे हे किक . श्रीरिष्णुसे पाथना . . शिया . छिलिप्रों. विष्णु. स्थिस्चरचपुर्वेदविपयों थियां .. साक्षी -+ झुद्धो हरिरसुरहन्ताव्जनयनः । गदी . शाट्मी चक्नी चिमलवनमाली ८ स्थिररूचिः झारण्यों . लोफेयतं मम भवतु रुष्णो5क्िविपय ॥ . ..... र -. ( श्रीदांकर्राचाय ) दाना अल पु जो सगवती श्रीठक्मीसे संदा युक्त हैं परमाकपक हैं सम्पूण चराचर ष् त रद कि दा दि जो शुतिसंवेध हैं समस्त चुद्धियोंके साक्षी है झुद्ध हूँ हरि हि र थी एवं दुःखोंकि हरनेवाले ) हैं - दै्य-इठन हैं कमद-नयन हैं शाश-चक्रगदा . .. कु ४ दा पथ्रके साथ ) विमल बनमाला धारण किये रहते हैं एवं ख़िंरकान्तिमय प् ६ हु च झारशागतयत्सल निखिल-मुवनेदर भगवान्‌ विषय पर उदार जिद ली । हर घीविष्णु-अट्ट १




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