किर्तिशेष | Kirti Shesh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
144
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)/ शक
कीति शेप / २४५
“हाँ, वहु सव अच्छा नही हुआ । न जाने कितनी छात्राएँ मर गई (”
प्यौरन- 2!
लापता है ?
“आऔर* बढ ऊँ ग
प्रात्महत्या कर गई ।/
नऔर-- ?7
“झेप तुम जानती ही हो ।” मिताली की ओर देखकर ओतिन बोला, “मुझे
यौवनमयी, मावनामयी, सोन्दर्यमयी तरुणी चाहिए !”
“कि ? (क्या)” मिताली ने ऊँचे स्वर में कहा ।
भघवराओं नहीं, ऐसी लड़की, जो डरपोक न हो। सुन्दर हो, चतुर हो ।
है जो जासूसी का काम कर सके 1”
कीं?!
नही, तुम नही ।
“ब्यी १!
“तुम्र वही ठीक ही ।”
“मैं भी राष्ट्र सेवा करना चाहती हूँ ।”
“वहाँ रह कर भी तुम राष्ट्र-सेवा कर सकती हो, राष्ट्र के नाम संदेश
देकर कि तुम हम से अलग नहीं हो ।”
“वहूं तो ठीक है ।” कुछ सोच कर मिताली बोली, “श्राज ही मेरी एक
वान्धवी (सहेली) पाक सैनिकों को वर्बरता का शिक्रार होते-होते बच गई।
शायद बह जासूसी का काम कर सके ।
“कैसी है वह ?”
“प्रापकी कल्पना पर खरी उतरेगी (”
“फिर तो हमारी योजना सफल हो जायेगी । कब मिल्लाओगी उसे ?”
“जब तुम कहो (
व्यभी 1
०इत्तनी रात गये ! ”
- बबयों 27
'ऐसो कोई बात नहों ! थंकी थी, सो गई होगी । सवह उससे भापका
User Reviews
No Reviews | Add Yours...