शिक्षा का विकास | Shiksha Ka Vikas
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
149
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about कि॰ घ॰ मशरुवाला - Ki. Gh. Masharuvala
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श
जो नओसे नओ शिक्षा-पद्धति मानी जाती है, बात की और यह
बताया कि आपकी शिक्षा-योजना वेसी ही है। गाधीजीने कहा कि
“ प्रोजेदट मेथड ' क्या है, सो में नहीं जानता। मेने अपने विचार
अिस विषयकी कोओ पुस्तके पढकर नहीं लिये हे। यह योजना
स्वतत्र रूपसे विचार करके निकाली हुओ है। परतु आप जिस
पद्धतिका जो वर्णन कर रहे है अससे मुझे लगता है कि मेरी योजना
अससे बिलकुल भिन्न हैं। अिस पद्धतिमे तो जिस विषय या बस्तुकी
शिक्षा देनी है अुससे सबधित असकी योजना अथवा प्रवृत्ति कृत्रिम
रूपमें पेदा की जाती है। वह जैसी सच्ची प्रवृत्ति या सच्ची वस्तु
नही होती, जो मनुष्यके अपयोगमे आये। अुस पर किया गया खर्चे
और बालरकों द्वारा किया गया श्रम समाजसे किसीके काममें नहीं
आता। यह हो सकता है कि जिस पद्धतिसे वस्तु अथवा विषयका
ज्ञान बालककों अच्छी तरहसे कराया जा सके। परतु अिस पद्धतिमे
शिक्षा अितनी खर्चीली बत जायेगी कि अुसका लाभ थोडेसे धनिक
बर्गके बाकक ही आठा सकेगे । मुझे तो आुत्तम शिक्षा गरीबसे गरीब
वर्गके बालकोके लिओ भी सुलभ कर देनी है। जिसीलिओ स्वावकूबनकों
में अपनी योजनाकी सच्ची कसौटी कहता हू। जिन अद्योगों द्वारा
शिक्षा देनेके लिझे में कहता हू वे केवल बालकोंके मनोरजन, खेल,
या शिक्षाके लिओ नियोजित कृत्रिम आुद्योग अथवा भ्रवृत्तिया नही है,
परतु देशके लाखो अथवा करोडो लोगोके जीवन-विर्वाहके साधव बन
सकनेवाले सच्चे अद्योग हे।
जिस प्रकार गाधीजीने अपनी योजना मित्रों तथा शिक्षा-विभागके
मत्रियों और अधिकारियोके सामने रखी। फिर असे व्यवस्थित रूप
पर दे आये। वहासे वे कृत्रिम ढगसे बनाओ हुओ रेल्वेके डाकके
डब्बेमें जाय। वहा सॉर्टर अन्हें गाववार छाटे और प्रत्येक गावके
पत्रोके थैले जन गावोके नजदीकके स्टेशन आने पर वहा दे दे,
अित्यादि।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...