श्रम समस्यायें एवं समाज कल्याण | Shram Samasyayen Avem Samaj Kalyan

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Shram Samasyayen Avem Samaj Kalyan by आर॰ सी॰ सक्सेना - R. C. Saksena

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( मे) प्रप्पाप द्र्छ अम बिन का भातोचगात्मक मूर्माकस, प्लाटे पैमानों के श्रधोगों, प्राबास॒प्रादि के लिये विधान की प्रावश्यकरता सुम्यय भौर उपसंहार | इ२१-६६१९ २६--दिहैन मैं भम विषान : प्रारम्मिक इतिहास भौर धपिनियम; कारशार्तों में पोर धोषनीय इघाएं; बास समिक भौर उतकौ दयनीय स्पिति बघानिक सुरक्षा प्रशान करते के बिचार झा दिकासा १८०२ का प्रथम कारशाना स्रधितियम' १८१६ का क्‍श्रधिनियम; १८२० भोर १६०० के बीच के भविनियम, १६०१, १६३७ 5पा ११४८ के प्रविभिमम) छा्ठों के सम्दरप्र में गिबान'ः श्रन स्वात्म्य प्रविगियम दुकान प्रतिनियमः बासकों के सम्बन्ध में जिघास” मजहूरी विनियमन भ्जिनियम' भप्रस्प अम बिशान' ऐक्सिक समम्यौते तथा प्रमत्ता इपसंह्वार । ७००-१५४ २२--बाल तपा हशै पमिद बाशकों के रोडपार पर शमाते की समस्या इसके कारण; मायान में आस समिक' कारथातों में बाप भ्रमिकः लागों में बात अमिक; ध्रतियरि्रठ कारबानों प्रादि ठथा कृषि में बाल पमिकः डास प्रमिकों की कार्य करे की दशायें' उनकी मनद्ुरी, प्ापु ठया कार्य बस्टे; १९३३ का बाल (पम प्रगुवल्ध) प्रधिमियम; प्रनुधाणम के सम्बस्ध में स्पिदिं' ११६८ का बाल प्रमिक रोजगार प्रविनियम' निष्कर्ष तथा घुम्घव 1 शधोरयोँ में स्त्री अमिकः स्त्री भ्रमिद्रों के रोजगार को समस्या हा में हुए एक सर्वेक्षण के निष्कर्ष स्त्री श्रमिकों के कार्य की प्रकृति छजी अभि कौ मजदूरी उसकी भाग तया उनके लिए शाम; स्ति्यों के लिए थानों के धीतर कार्य करने की धमस्पा' स्त्री भ्रमिझ तथा सामाजिक बाताबरण' थत्री अमिक ठया स॑ब- उपसंहार ! इ८२१०-७०७ 2र-..त्तोय कृषि भ्रमिक ४ कृषि अमिर्कों की संश्या कृषि अमिरों के प्रदाद हपि कार्यों कौ अहृत्ति; ठपा रोजपाए कृषि समिर्कों को दशाये छनके कार्य बप्टे




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