शीघ्रबोध भाषा टीका समेत | Shighrabodh Bhasha Tika Samet

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Shighrabodh Bhasha Tika Samet by काशीनाथ सिंह - Kashinath Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्ट न्‍ श्ीघ्जोध, न जे * दीका-जो कन्याका ज्रइस्पति द।(रै1१० होये वी पूजा दानादिक देके घिवाह करे तो शुभ हो || ४* मे एकादशेद्धितीयेवापंचमेसप्रमेपिया ॥ - नवमेचसुराचार्येकन्यायासड्ा भकारकः ॥ ५१ टीका-नो कन्याका जृहस्पाति ११।२1५७।९। होबे विक्षेषकरके झुभ है ॥ ४१ ॥ इति ग्ररोर्चकूम ४ अष्टाब्दिका भवेद्वीरी नववर्षा च रोहिणी ॥। दशवर्षो भवेत्कन्याअतऊर्धरजखला ॥ ५९ ॥ डीका-अष्टवर्षमं कन्पाको गौरी संज्ञा जानिये; नववर्षमे रोहिणी, दशवषमें कन्यासंज्ञा जानिये और इसके उपरान्त रजस्व॒ला कहते है ॥ ४२ || ब गौरी युरोर्वले देया रोहिणी भारकरस्य च ॥ कन्या चेद्रबले देया सर्वेदोषविवजिता ॥ ५३ | अका-गौरीको वृहस्पतिफे वलमें देबे, शेहिणीकों सर्वके घलमें देव और कन्पाको लंद्रवद्में देते ॥ ड्३ ॥




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