श्री शान्तिनाथ चरित्र | Shri Shantinath Charitra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
268
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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ऐसेही चिरले सज्ञनोंमें कलकत्तेके सुप्रसिद्ध, व्यापारो ओसवाल
कुल-भूषण श्रीमान बाबू भेंरोंदानजी कोढारी भी हैं। यद्यपि आप
बीकानेरके रहने वाले हैं, तथापि--आपका जन्म संबत् १६३८ चैशाख
कृष्णा २ शनिवार को शुज़्णतके समीप दाहोद नामक स्थानमें हुआ
था। आपके पिता वहीं पर कपड़े आदिका कार-वार करते थे, उनका
शुभ नाम भीमान् रावतमलऊज़ी था।
आपकी अवस्था ज्ञिस समय केवल छ वर्षकी थी, उसी समय
आपकी माताजीका परकोकवास हो गया था। श्सलिये आपके पालन-
पोषणका सारा भार आपके पिताश्नी पर ही आ पड़ा। आपके एक
खुशीला वहिन भी हैं, जिनका शुभ नाम जुदार कूँचर है।
दाहोदरों ही आपकी शिक्षा हुई | उसके वाद आप व्यापारकी ओर
भुफे। संचत १६५५ की सालमें आप कलकत्ता पधारे। यहाँपर
आपने पहले-पहुल १० रुपये की नौकरी पर काम करना आरंभ किया।
इसके बाद आपने विलायती कपड़ेका व्यापार करना शुरू किया ; पर
इस काममें आप पूरो तरह सफल न हुए। फिर इसके वाद
आपने सन् १६६४ की सालसे स्वदेशी कपड़ेकी दुछालीका काम करना'
आरंभ किया। इस कार्यमें आपने उत्तरोक्तर उश्नति की और एक बडे
नामी-गरामी व्यापारोसें आपकी गणना हो गई।
इ्स वीचमें संचत् १६९५६ के वर्षमें आपका शुभ विवाह हुआ
आपकी धर्मपत्नी बड़ोही खुशीछा, खुशिक्षिता, धर्मपरायणा, पतिबरता
ओर शात्तस्घभावा हैं । धार्मिक शिक्षाका ज्ञानभी यथेष्ट प्राप्त किया
हे और अपना प्रायः अधिक समय ज्ञान-ध्यान एवं धार्मिक फ्रियामें
ही व्यतीत करती हैं। उनके धर्म-कार्यमें आप सवैच साथ द्यि
करते हैं। अभी कुछ घर्षोके पहलेकी बात है, आपकी घम्मपत्मीने'
नव॑ंपद् ओलीका बड़ा तप किया था । उसकी समाप्तीके उपलक्षम आपने
एक बड़ा भारी उद्यापन ( उ्ममणा ) किया, जिसमें अतुछ धन-व्यय
करे आप अपूर्व पुण्यके भागी बने। ह
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