श्री शान्तिनाथ चरित्र | Shri Shantinath Charitra

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Shri Shantinath Charitra by काशीनाथ जैन - Kashinath Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( +े ) ऐसेही चिरले सज्ञनोंमें कलकत्तेके सुप्रसिद्ध, व्यापारो ओसवाल कुल-भूषण श्रीमान बाबू भेंरोंदानजी कोढारी भी हैं। यद्यपि आप बीकानेरके रहने वाले हैं, तथापि--आपका जन्म संबत्‌ १६३८ चैशाख कृष्णा २ शनिवार को शुज़्णतके समीप दाहोद नामक स्थानमें हुआ था। आपके पिता वहीं पर कपड़े आदिका कार-वार करते थे, उनका शुभ नाम भीमान्‌ रावतमलऊज़ी था। आपकी अवस्था ज्ञिस समय केवल छ वर्षकी थी, उसी समय आपकी माताजीका परकोकवास हो गया था। श्सलिये आपके पालन- पोषणका सारा भार आपके पिताश्नी पर ही आ पड़ा। आपके एक खुशीला वहिन भी हैं, जिनका शुभ नाम जुदार कूँचर है। दाहोदरों ही आपकी शिक्षा हुई | उसके वाद आप व्यापारकी ओर भुफे। संचत १६५५ की सालमें आप कलकत्ता पधारे। यहाँपर आपने पहले-पहुल १० रुपये की नौकरी पर काम करना आरंभ किया। इसके बाद आपने विलायती कपड़ेका व्यापार करना शुरू किया ; पर इस काममें आप पूरो तरह सफल न हुए। फिर इसके वाद आपने सन्‌ १६६४ की सालसे स्वदेशी कपड़ेकी दुछालीका काम करना' आरंभ किया। इस कार्यमें आपने उत्तरोक्तर उश्नति की और एक बडे नामी-गरामी व्यापारोसें आपकी गणना हो गई। इ्स वीचमें संचत्‌ १६९५६ के वर्षमें आपका शुभ विवाह हुआ आपकी धर्मपत्नी बड़ोही खुशीछा, खुशिक्षिता, धर्मपरायणा, पतिबरता ओर शात्तस्घभावा हैं । धार्मिक शिक्षाका ज्ञानभी यथेष्ट प्राप्त किया हे और अपना प्रायः अधिक समय ज्ञान-ध्यान एवं धार्मिक फ्रियामें ही व्यतीत करती हैं। उनके धर्म-कार्यमें आप सवैच साथ द्यि करते हैं। अभी कुछ घर्षोके पहलेकी बात है, आपकी घम्मपत्मीने' नव॑ंपद्‌ ओलीका बड़ा तप किया था । उसकी समाप्तीके उपलक्षम आपने एक बड़ा भारी उद्यापन ( उ्ममणा ) किया, जिसमें अतुछ धन-व्यय करे आप अपूर्व पुण्यके भागी बने। ह




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