ऑखर - ऑखर अनुराग | Okhar - Okhar Anurag

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Okhar - Okhar Anurag by विष्णुचन्द्र पाठक - Vishnuchandra Pathak

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आख़र भाखर अनुराग] [15 में छात्रन को स्कूत चल है| महा आजऊ एक कमरा म पलग अरू तलवार धरे भये हैं | जहा प्रत्ताप सिंह को आवास मानों जाय है। हिंदी के यश्वस्वी उपयासकार स्व डा रागेय राघव क॑ पुरखा प्रतापप्तिह द्वारा स्थापित सीताराम जो के महत हे । डा राधव को परिवार आजऊ वर मं या मदिर की महत है। प्रकृति श्ररु जीवन पद्धत्ति--महाकवि सोमनाथ की प्रकृति बड़ी रसिकः अरु सौदय प्रेमी ही । व॑ सुन्दरता के हामी है । बिनकी रसिक सुभाव के विसे में 'सुज्यन विनास! ग्र थ को एकई उदाहरन पर्याप्त होयगो-- सहज विल्लांकनि चित थुरावे, मृगनैननि निज प्रगट सुभावे । अर मुसवधानि कटाछवि मारे, तब नर कंसे धीरज धारे । लिपिवद्ध जीवनी के अभाव में साहित्यकार के व्यक्तित्व की विसेसतान अरु बानेः साहित्य म॑ व्यक्त भाव एवं विचारन के आधार प विवेचित कियो जाय है । सोमनाथ अपोे कृतित्व क॑ आधार पै सुभाव सो बत्यधिबर सरल अरू विनम्र सिद्ध होय है। बिने अपनी रचनान में स्वय के दभ कू व्यक्त नाय कीनो । अपने ग्र थन के प्रारम्भ मं कवि परि में बिर्नो स्वय अपने हाथन सो अपना जो परिच कव्यवद्ध कीनो है बाते ई तक स्वत मिद्ध है । वे हमेसा जग जगे लिखे है के मैंने जो कछू लिघी है थू सुकविन के ससग को परि- नाम है सगई बिना युती व्यक्ति बी परिभामाऊ दे दीनी है।” कतिपय स्थानन पै वे तुलसी वी तरिया सज्जन अरू दुजन दोनून कू' सादर प्रनाम करते भये अपनी विनम्रता को परिचे दे है |? दँ राजपरिवारन के परस्पर वेमनसस्‍्य होते भयेऊ सोमनाथ दोनून के कृपाभाजन रहे | याके भूल में 6 कारन है। प्रथम तो सोमनाथ बदन सिंह के आयु के हे । पिता की आयु के प्रबल विसवासी हैबे के कारन सोमनाथ के सबध सुजान सिंह अर प्रताप सिंह दोनू सो स्नह भरे हे अरु दूसरों यावे! पाछे सबन ते बडो कारन हो सोमनाथ 1 ([क) माथुर कवि शशझिनाथ की सुकविन को परिनाम भूल होप सो सोधियों यही गुननि को काम )- केध्ण लोलावती 5/75 (ण। जो बछू भूल्यों होऊ तो लीजो सुकवि सुधार-सग्राम दपण-छद 500 2 (३) सज्जन अछ दुजतिहु को मेरी प्रणति अनेक-शविनाथ विनोद 5|68 (ख) सज्जन दुजन को सदा, सहस गरुनी परनाम । दया कोजिए दीन लखि, सोमनाथ को नाम- रस पीयूपनिधि-2/11




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