सरित्सागर भाषा का सूचीपत्र | Saritsagar Bhasha Ka Suchipatr

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Saritsagar Bhasha Ka Suchipatr  by श्री सोमदेव महाकवि - Shri Somadev Mahakavi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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न्‍्फ - , सरित्सागर भाषाका सचीपत्र । तरक्ञ - 1८ ब्राह्षण की कथा कहना --- विपय ' शिकार खेलते हुये चश्डमहासन के सिपाहियों को राजा उदयन्‌ को उज्जयिनी पकड़ लेजाना व राजा को वासवदत्ता नाम अपनी कन्याकों-गाना सिखा- नेके हेतु उदयनको सॉपना तथा योगन्धरायण व ब-* - सनन्‍्तक को रूप बदलके राजा उदयन्‌ के पोस जानों व बसनन्‍्तकसे वासवदत्ताको कथा कद्दाना व वसत* कको रूपणशिका नाम मथराकी वेश्या व लोहजंघ नाम योगन्धरायण के मेत्र से राजा उदयन को भद्गववती ह- धिनी पर सवाए दों वासवदत्ता हरण कर विन्ध्या- चल में आना ओर हथिनी को शापोद्धार होना ओर दयन्‌ को अपने मित्र पुलिंदक से मिलन परचात्‌ . बासवदत्ता के कदने पर वसनन्‍्तक को ताम्रलिप्ती न- गरी के धनदत्त नाम वैश्यकी कथा को वरणनकरना- चण्ठमहासेन को. दत हारा गोपालक आगमन सू- चित कराना व राजा उदंयनकों फोशाम्बी में आना पश्चात गोपालक को फोशास्त्री में आकर वासवर्तत्ता का उदयने के साथ पाणिग्रहण करना व राजा को यौगन्धरायंण से सब -के सत्कार की शआाज्ञा करना व यौगन्धरायण को रुमण्वान्‌ से चोल- विनष्टक की कथा कहना व वसवदत्ताकी आज्ञा से वसन्‍्तक को रुरुमुनिक्री कथा कदना-- अथ्‌ लावाणकनाम द्ृतीयोलम्बक ॥ राजा उदयनको रानी बआसवदत्ता व मद्यादि के वश हो राज्यभार मंत्रियोपर छोड़ना व गोगन्ब्रायण मंत्रीकों अपने जोगोपर राज्यभार देख राज्य दाद व राजा की शभवचिन्तना में रानी से वियोग व मगधेश्वर की पद्मावती कन्यामें विवाह ठीकठहरा रुमण्वान्‌ से मंत्रतेना उसको चहु रहता से आफ्तेप इनको प्रतिपादेन फिर रानी के भाई गापालक 5 मंत्रकर तीनों को राजा के पास जाके छाव्रार॒क चलने में सम्मतदेना व राजाकों उदयतद्ावा नारदा- गमन व नारद राजा सम्बाद वर्णत-- राजाउदयनऊों रानी व मंत्रियों समेत छावाणक पडुच द मॉगन्वरायणं, रुमख्यान वप्तन्त- रानी के पास जा सब कथाकदह शिक्वार जाना का, गापालक रानी को रूपचदय ब्राग्मणीवना वसन्दकू के काना के बना योग वरायण पद ऋाश्य् घने मगध- हां कासापप दरार याद देश दानी को यः टिका में पद्रादता सम 5 न्‍्याउद उसे सेंपिझानों को रूम मग्वान कैप राला से रानी व वसत्तकदे शेवाएन्ददीला तथा के दियाद को फटा # चृष्ठसे पृष्ठक डर ५३ भर शाप भपध ६) ६२ ६० रमन, लेकेललब>>+ 23० ४०+«४ ४ ४०रंंअ५भभअ>ब्भ>ल » तरफ बिपय व राजा को मगधजाक्े पद्मावती से विवाद कर लादा- णक शआ बासवदत्ता से मिलाप शो योगन्परायण फी प्रतिज्ञा से रानी बासवदत्ता की शुद्धतामें आाका- शवाणी होना व राजा को अत्दाननद वशेन-- डउदयनूफो अपने मंत्री व रानियों से पुरूरवा व ' अब्रशी-की कथा कहना उस कथा से बासवद्त्ता को राजा 5 #बक रु ५ गन्धरा ३ को 0 लाजत देख या/गन्परायणय का ।रशाइतसन राना की कथा कहना व गगधराज को मंत्रियों के ठत्के शान ३ 6 होनेपर दूत-भेजना व पद्मावती को दूतसे छापने प- : तिकी प्रशंसा पिताफेपास भेजना पश्चात्‌ रानी फो उदास देख वसन्तक फो धमंगुप्त बनिया व गोतम- मुनि भी अददल्या की कथा कहना फिर योगन्धरा- यण को कोशाम्बी के चलने में राजा को सलाददेना व्‌ मगधेश्वर को दूत भेज अपनी प्रसन्नता सूचित कर ना व चं्रमहासेन के यहोसे भी दृत आना शोर राजा को दूत ब्रिदाकर कौशाम्पी चलने फी इच्डाफरना- प्‌ ३७ 3 र्‌ लावाणक से राजा उदयनकों कौशाम्त्री श्रागा: ओर समा में बैठ प्राथण का शब्द सृनना और द्वार- पालके द्वारा ब्राध्णको बुलाना घोर इसका सब दाग जान गोपालकॉंकों पकड़वाना प्रौर उनके मृरासे देवसेन को द्वाल सुन सेना समेत राजा उदयन को वहाँ जाना 'और वहाँ फी एथ्यी सुदवागा दिस से एकयरकों निकल राजाके पियामदकी गाड़ी निधि बता अंतछोंन होना शोर रागाकों एफ रखा का सिंदासन पा उनको दस्टदे शपनी राज्यम था थी गन्धरायण मंत्रियों ये रानियोंगें बेठ व्रिदृषक नाम प्राथयकी बीर रसभरी कथा मंत्रियोंकी शमिणाप से वर्णन करना राजा उदयनसे योगन्वरायणकों दिखिगय-करने फो कटना और राजा को रातियों व मंत्रियों समेत हींग दिन गत फरना थ शिवगीफों स्मप्मर्म सनोर्भ सिह कदना फिर योगन्धरायग्य की राजा हो एक देखदारा बनिये के पत्रकी कथा कदना दिर गोगन्थरायण के मंत्रसे काशी के प्रयदश नाम राजा पश उदसनका चटाई कर उसे करने समृद के तेटपर जाशगासम गा फिर बैग छोजिंग प्राणय का दाहइरा द्तिं घुमते उम्मवितीम अपने हयशाूरस मद तरिधम एम पारसदेश के गाताको शिर्कांद मगधराम अपने सवशार से मित्र लागणंई नाम आपने देश आदा- पता डध्यनका धुटन नाम सीशार बिया कपड़ा पर सका धार पगरय्गायरा का शाप हे प्र सोमदत शो दुशशा ता आष.मनंरशत नाम मे ह्रत अतिझ कथारों दिशका निशरग्य परमात साहा इटप्न मो कहर हरी में भाव रे




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