सामयिक - प्रतिक्रमण सूत्र | Samayik - Pratikraman Sutra

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Samayik - Pratikraman Sutra by कुम्भट विजयमल जैन - Kumbhat Vijayamal Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ह गे ॥ | ४ | ( १४ ) सातमो उपसोग पारिसोग विरमण ब्रत-उल्लणिया- बिहू ( अग पूछना झादि विधि ) दतणपिह ( दातणविधि ) फल विद ( फर्लाधीध ) अब्भंगणविद्द ( तेल मालिस की विधि ) उपद्ुणविद््‌ ( उयटन आदि की विधि ) मजणनिद ( स्नान की विधि ) पत्थविदद (इस्तविधि) विजेवय विह (विलेपन विधि ( पृष्फ- विद्द पुष्पानिधि ) आमरण विह ( आभूषण विधि) धूर्पाविद ( धूप की विधि ) पेजपिद ( दुध भादि पीचा की विधि ) भक्‍्सणपिद ( भक्षण फी विधि ) भोदनविद्द ( चायल की विधि ) सपबिदद ( दाल की पिधि ) पिगपविह ( पिगय की परिधि ) सागविदह (साग की विधि ) माछुरविद्द ( मधुर पदार्थ की विधि ) जीमण विद (जीमवानी पिधि) पार्णीविह ( पारी की विधि) घख व्रासविद्द ( सोपारी पान आदि को विधि ) बाइनपिद् ( सवारी की विधि ) सयणविह् ( पलग आदि सोने की विधि ) पल्निगिद ( पगरखी की विधि ) सचित पिह ( सचित को विधि ) द्रज्यप्रिह ( द्रव्य की विधि ) इत्यादिक छाइस पोलां की मरजाद कीधी छे से उपरान्त उपभोग परिमोग भोगणय का पचक्खाण जावज्जीवाए एगविद तिविदेश न करेमि मनसा वयसा कायसा । ( एवा सातवां उपभाग विस्मण बत के विंप जे कोई अतिचार लागो होय तो आलोउे, पचगखाण उपरान्त सचित को आदर फीघो दोष, सचित्त प्रतिबद्ध को आदार कीघो,होय, अपक को आहार कीधो होय, दुपक को आद्वार कीधो दोय, तुच्छ औपधि भक्सण कीघा होय, थोड़ो खाय घणे नाखियों दोय दस्म मिच्छामि दुकड ) | इति । 7




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