श्री ज्ञान - प्रकाश | Shri Gyan - Prakash
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
146
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[४3१ 1
में- तो 'थारो० ॥ ३॥ इस घंगछा के पचरं
रंग लगाया जी म्हारी जोडी का जिवराज
नो मास गर्भ में ताव लगार पकायो जीं
म्हांरी जोडी का'जिवंगज ॥ में तो थारो० ॥४॥
दुशें इन्द्रियां में पांच इन्द्रिय भरुणज्ञानी जी
महारी जोड़ी का. जिवराज । पाँच रही सो
कम इन्द्रिय कहावे जी म्हारी जोंड़ी का
जिवराज ॥ में 'तो थारो० ॥५॥ इस बंगला
में अजब बाग लगवायो जी म्हारी जोडी कां
जिवराज । शाखा साड़ा तीन करोड ' फलाई
जी महारी जोडी का जिवराज ॥'में तो थारो०
॥६॥ अरूत रूपी होद अमी जल 'भरियों जी
महारी जोडी का जिवराज4 सतवादी होय
पुरुष बगीचो पायो जी म्होरी जोडी का जि-
वेंराज-॥ में 'तो थारो० ॥»| चेतन साली चो-
कस जल फेलायो जी म्हांरी जोडी का जिवे-
राज । सांच पाणतियो फिर २ फेर पायो जी '
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