छूत वाले रोग और उनसे बचने के उपाय | Chhut Vale Rog Aur Unase Bachane Ka Upay

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Chhut Vale Rog Aur Unase Bachane Ka Upay by जगरानी देवी - Jagarani Devi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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शागरोप्रचारिणी लेखमाला । 8५१ फुसिये को दशा और उनमें परिवर्सन । मादि में स्वचो ( चमर्डी ) पर एक छाल चमकदार स्वचा से फुड ऊचा बिंदु प्रगट दाता है | दूसरे वा सीररे दिस यह थिदु चपटा कठार छप्नरा हुमा जैरर छ से से राई था सरसों (कभी २ खोठे छर) की क्षांति सस्भध जाग पहला है । इसके रुपरान्त इसमें ( फुसियों में ) साफ जल पर लाता है| पाचरथें दिन दाने के फ्रेग्ट्र पर एक दधाव ( गढा ) पढ जाता है। इस दशा में फ सो के “भम्ब सी- केटिह पायस?” ( लाभी फी भाति दामे ) कहते हैं। इसके उपरान्त वाला फे कित्ताएऐ साफ सैर उत्तमें का जछ गदला हैामे लगता है | दाने के चारो कार छाल पेरा ( बृत्त ) लाल पछलता है| ज्यों २ पीप पढ़ती है दासे फा दबाव की कस छोता जाता है सैर दाता मोहदार हा जाता है । दाने जालदार देते हैं भर्षाव तैसे सारगो में खाने देते हैं रपी भ्राति इन दाने में भी शांने देते हैं। यदि सई से दाने। का छेद दे से कुश जल एक साथ कसी भी लहां निफलले का। आाठये दिव दाने स प भर जाते हैं मेर रुक्तके सिर पर एक काला विल्यु दिखाएं देता है । इसके छरपराण्त दाना फट कर कुछ पीप बह जातो है या सूख कर पिरिली' परत जातो है | द्रिली का रग भरा देता दे । छाई २ दाने फुटते भद्दीं मरण सुरफ्ता जाते हैं । ४ दर्जा--इसमें फुछिया सुरक्तामे छगती हैं लेर दिलली बचमे छगतो है | ९१ से १४ दित के भीतर द्उली अछणग देने छणती है। दिलों के झलछग दाने पर एफ ३ झुरंद-शझुक्तो




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