अंक - विद्या | Ank - Vidya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
192
श्रेणी :
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No Information available about गोपेश कुमार ओझा - Gopesh Kumar Ojha
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कया भ्रेक-विद्या में कुछ रहस्य है ? “४
१२ ४ फिर १४, १५--इस क्रम से आगे के कमरों पर मम्बर डालते
हैं। १३ का नम्बर इस कारण नहीं डालते कि बहुत से मेहमान
१३ नं० के कमरे से घबराते हैं ।
श्रागे के प्रकरण में (देखिये प्रकरण ३) बताया गया है कि
अंक-विद्या में यदि कोई झंक € से अधिक हो तो उसके विविध प्रंकों
को जोड़ कर यो अंक बने वह मूल-अंक कहलाता है । इस पद्धति
के झनुसार अमेरिका का सूल-प्रंक १३७-१४-३००४ प्रतोत होता
है क्योंकि '१३” की संख्या का श्रमेरिका से धनिष्ठ सम्बन्ध है।
*१३! के दोनों अंक '१” तथा “३” को जोड़ने से १+३--४ चार
बनता है। ४ का सम्बन्ध आधुनिक वैज्ञानिकों ने 'हशल' ग्रह से
माना है। “हर्शल” का बिजली, नवीन झ्राविष्कारों तथा द्रुत प्रगत्ति
से विशेष सम्बन्ध है भौर अमेरिका इन बातों के लिए प्रसिद्ध है ही ।
यह भी श्रागे तीसरे प्रकररा में ववलाया गया है कि १ तथा ४ प्रंकों
की '२! तथा “७! अंकों से भी सहानुभूति है।
(क) वाशियंटन प्रथम अमेरिकन
प्रेसीडेन्ट का जन्म दिवस २२ फरवरी (२+२८-४)
(ख) स्वतन्त्रता का ऐलान ४ जुलाई सन
(ग) जा तृतीय (जिसके राज्य
काल में झमेरिका से युद्ध
हुमा) का जन्म दिनू डे
जल ब््स्ाफई
( ) ० की अधषभ
आजा दल
(च) समतर छल कैप वतन
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