अंक - विद्या | Ank - Vidya

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Ank - Vidya by गोपेश कुमार ओझा - Gopesh Kumar Ojha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कया भ्रेक-विद्या में कुछ रहस्य है ? “४ १२ ४ फिर १४, १५--इस क्रम से आगे के कमरों पर मम्बर डालते हैं। १३ का नम्बर इस कारण नहीं डालते कि बहुत से मेहमान १३ नं० के कमरे से घबराते हैं । श्रागे के प्रकरण में (देखिये प्रकरण ३) बताया गया है कि अंक-विद्या में यदि कोई झंक € से अधिक हो तो उसके विविध प्रंकों को जोड़ कर यो अंक बने वह मूल-अंक कहलाता है । इस पद्धति के झनुसार अमेरिका का सूल-प्रंक १३७-१४-३००४ प्रतोत होता है क्योंकि '१३” की संख्या का श्रमेरिका से धनिष्ठ सम्बन्ध है। *१३! के दोनों अंक '१” तथा “३” को जोड़ने से १+३--४ चार बनता है। ४ का सम्बन्ध आधुनिक वैज्ञानिकों ने 'हशल' ग्रह से माना है। “हर्शल” का बिजली, नवीन झ्राविष्कारों तथा द्रुत प्रगत्ति से विशेष सम्बन्ध है भौर अमेरिका इन बातों के लिए प्रसिद्ध है ही । यह भी श्रागे तीसरे प्रकररा में ववलाया गया है कि १ तथा ४ प्रंकों की '२! तथा “७! अंकों से भी सहानुभूति है। (क) वाशियंटन प्रथम अमेरिकन प्रेसीडेन्ट का जन्म दिवस २२ फरवरी (२+२८-४) (ख) स्वतन्त्रता का ऐलान ४ जुलाई सन (ग) जा तृतीय (जिसके राज्य काल में झमेरिका से युद्ध हुमा) का जन्म दिनू डे जल ब््स्ाफई ( ) ० की अधषभ आजा दल (च) समतर छल कैप वतन




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