नई शेरो शायरी | Nai Shero Shayari

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Nai Shero Shayari by कलामे तावां - Kalame Tavan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सोत ओर ज़िंदगी ये मये-तल्ख' भी पीना ही पड़ेगी इक दिन । मीत बरहक सही पर जीस्त का हासिल तो नहीं , कारबाने-तछवी-शौक फी मंजिल तो नहीं , कितनी उलझो हुई राहों से गुजरता है अभी , जिंदगानी की मुहिम सर हमें करना है अभी , जिन्दगी मौत से तारीक' भयानक पुरहोल , इक गिरांवार तअन्तुल का फ़ुसुर्दा माहौल , इससियह खाने में८ इक शमअ जलछालें ऐ दोस्त , बण्मे-आजादी-ए- जमहूर * सजाछें ऐ दोस्त , खूने-महताव से तामीरे-सहर करना है, करने -जुलमत फो अभी जेरो-जबर करना है , आलमे-ताजा * की त्तशकील' का सामान करें, जब तल्‍ूक जिंदा हैं क्यों मौत का अरमान करें, मौत तो आयेगी आकर ही रहेगी इक दिन। १. कड़वी शराव ) २, सच्चाई पर] ३. जीवन का निष्कर्ष | ४. चाह तथा प्रेम के कारवाँ की) ५ जीवन का मोर्चा। ६. अंधेरी । ७, भया- नक | ४. ओझल गति अवरोब का उदासीन वात्ावरण। ९. अधेरे घर में। १०, स्वतन्त्रता की सभा। ११. चाद के रत से । १२. सुबह का मिर्माण । १३: अंधकार रूपी महल की । १४. ढाना है। १५. नव संसार । १६. निर्माण ( र५ )




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