दरिया साहेब (बिहार वाले) के चुने हुये शब्द | Dariya Saheb (bihar Vale ) ke Chune Hue Shabad
श्रेणी : काव्य / Poetry, हिंदू - Hinduism
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1.94 MB
कुल पष्ठ :
66
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)क्र ही
अधि”
शेल्दता श्रप्टपदी
कहें दरिया दिल साँचि सेामसे कोई ।
सिंघ की ठवनि* करू रहनि एकी । ८ ॥
(दे )
झञान फा चाइ़ला सुख में दोड़िया ।
सुब्न में सुरति है सब्द सारा ४ १९ ॥।
काया ता कर्म है भर्म छागा रहे ।
काया के उस दिये ठुष्टि वारा ॥ २७
नूर जहूर खुसबायां खासा बना ।
झञास सुबास में भंत्रर हारा ॥। ३ ॥
मुरखी मगन महजूब आापे बना ।
निहँगुर कनकार सहे बजत तूरा ॥ ४9
गगन गरजत अह्टे चुन्द उाखंडिसा ।
पंडिता वेद नहिं अंक न्यारा ॥ धरे #
इटू बेहट्ू यह अन्त अआथाह है ।
कोड जन जुगति से जाय पारा ॥ ६१
जीहरो जानिया जाहिर जा के कहो ।
होरा मनि पास है जाति सारा ॥ 3 ॥#
कहिं दरिया काट वलोी सस्तान है ।
सब्द के साचि ले सत प्यारा ॥ ८ 6
(४)
संत को चाल तू समग्ह बॉँकों बड़ी ।
सुरति छमान कसि तीर मारा ॥ १ ॥
पाँचि के मेटि प्रज्नोद के दल मल ।
बे के छेटि पिउ सब्द सारा ॥ २ ॥
अनशन बस थन
कक यलवददयलमवयदयदद्यण्यकान्यनकपकवकरनिक
* चाल । पे खुगंघि ।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...