उग्रह | Ugrah
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
180
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ण्ह्वा हू
पानी पीकर बाहर आ गया हू ।
क्या बाफी देर अन्दर बैठा मन बढ थक गया है। घुप पीली
पड गयी है, पर सडके और गलिया यो ही सुनसान है।..'
“फेर कब आइयेगा 17
“जल्दी ही आऊ गा ४” एक औपचारिक मुस्तराहुट सप्रयास
भेरे ओठो पर आ गई है । ५
“कहते तो हैं आप । पर याद कहा रहता है आपको वायद )”
मैं चुप उसे देखता हू, इस बार मेरी आखखें उसकी भाखों के
पास उतर आती हैं, उसकी सपनीली आंखें चुप हैं ।
मैं चुपचाप गलियो से सडक पर आ गया हू। आफिस से दो
घन््टे पहले उठ लिया। मिस्टर सचेती के साथ फिल्म भी न गया ।
कम से कम तीन धन्दे तो कट ही जाते । डा० करुणा के यहा चला
आया । एक सिगरेट सुलगा लेता हू, लगता है मैं बडा अव्यावहारिक
हु। जब तक फोटोज की सध्या बम होती तब तक तो घेर्थ रखता,
पर जाने बया हो जए्ता है कि अ्पसे पर से तियत्रएण उठ जाता है और
कही से भी, विसी से भी स्वय वो जोड नही पाता ।
श्रब किघर जाऊ । दाहिनी ओर म्गमूनीसिपैलिटी के द्वारा
चनवाये पार्क में लोग उलठे-सीधे पसरे पडे है। वोच मे लगी गाधी जो
की मूर्ति पर एक कौवा कौव काव कर रहा है, नीचे लॉन में एवं
कोई सिन्धी पेयर चाट खा रहा है कई रिकशे एक साथ मुजरे हैं ।
अखिरो रिकशे को हाथ देकर रोक लेता हू
गश्टेशन 1
उपग्रह ] (श्६
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