अवध के प्रमुख कवि | Avadh Ke Pramukh Kavi

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Avadh Ke Pramukh Kavi by ब्रजकिशोर मिश्र - Brajakishor Mishr

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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निषेदन अवध के शव गार युगीन प्रमुख कवियों का अध्ययन प्रस्तुत करने की प्रेरणा मुझे स्वर्गंवासी पितृचरण प० कृष्णबिहारी जी मिश्र से मिली थी। यह कार्य प्रयाग विश्वविद्यालय दे। हिन्दी विभाग में स्वर्गीय ग्रुरुवर पं० देवीप्रसाद जी शुक्ल के निर्देशन में आरम्भ हुआ था किन्तु दुर्भाग्यवश परिस्थितियों की प्रति- कूलता के कारण मुझें प्रयाग से चले आना पड़ा और कार्य आरम्भिक स्थिति में ही पडा रहा ! आगे भी कितनी ही विषम परिस्थितियां घेरे रही और कार्य की प्रगति अत्यन्त मन्द मनन्‍्धर गति से ही हो सकी । एक लम्बी अवधि के उप- रान्त ही मैं इसे पुरा कर सका और उसका सम्पूर्ण श्रेय गुरुवर डा० दीनदयालु जी गुप्त को है, जिनकी प्रोत्साहनपूर्ण प्रेरणा तथा समुचित सुविधा प्रदान के आधार पर इसका समापन हो सका । कार्यकाल के बीच में मेरे कितने ही मित्रों तथा शिप्यों ने अपनी स्नेहपूर्ण सहायता से मेरे कार्य भार को हलका करने का प्रयत्त किया है; वें सभी कृतज्ञता अथवा आशीर्वाद के पात्र हैं। भाई जगन्नाथवस्श दास (महन्त, गद्दी जगजीवन दास, फोटवा, बाराबकी) मेरे प्रिय सुहृद है। उन्होंने अत्यन्त उदा- रता पूर्वक जगणीवन जी के हस्तलिखित ग्रथ मेरे लिए उपलब्ध कर दिये। उनको धन्यवाद देना आत्मश्लाघा ही होगी। बाबू मिठाईलाल जी (प्रतापगढ़) में कविबर दास का वंश वृक्ष प्रदान किया, जिसके लिए में उनका इतज्ञ हूँ । मेरे प्रिय शिष्य डा० रामचद्ध तिवारी (प्राध्यापक, हिन्दी विभाग, गोरखपुर विश्वविद्यालय) ने तो प्रत्येक समय, प्रत्येक प्रकार से मेरी सहायता की है, उसका उल्लेख केवल उनके प्रति स्नेह्मभिव्यंजन मात्र है 1 अन्त मे मैं अपने विद्वान्‌ू तथा सहृदय परीक्षक-द्रय, आदरणोय डा० राम प्रसाद जी त्रिपाठी तथा श्रद्धास्पद आचार्य विश्वनाथ प्रसाद जी मिश्र के सम्मुख इतजता-ज्ञापन करता हूँ जिन्होंने इस कृति की ब्रुटियों पर दृष्टिपात न करते




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