पूर्ण - कलश | Poorn - Kalash
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
132
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)नृप ने आज्ञा दी--हो परिणय
छोटे कुमार से उस सुन्दरतम वाला का ।
होगई एक आज्ञा नृप को,
किसमें साहस था अ्रस्वीकार उसे करता ?
दुर्भाग्य आगया प्रणय-ग्रथित उन हृदयो पर,
दुरदिन था वह +
फपो नद ने उच्छवास भरे
अ्रवसाद-मलिन होकर व्याकुल,
कीयल न कह सको निज मानस की
पीडा को,
सुखकर स्मृतियों को दुहराने से
अधिक सालती वया पीडा ?
श्रब उन्हे बिछुडना था कल ही
कसी कठोर थी वह बला !
मर अश्वुनयत मे रहे मोन
भालिगन मे वे बहुत देर,
पर विवश दोन !
भ्रो' राजमहल मे बिना भेज दी गई हत
परवश बलातू ।
मोठी स्मृतियों की कसकन भर
घर के प्रति इतनी हो कातर
निर्मेम विषाद से हो जर्जर
ऐसी न गई होगी पति-गृह
कोई दुल्हन !
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