पूर्ण - कलश | Poorn - Kalash

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Poorn - Kalash  by रांगेय राघव - Rangaiya Raghav

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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नृप ने आज्ञा दी--हो परिणय छोटे कुमार से उस सुन्दरतम वाला का । होगई एक आज्ञा नृप को, किसमें साहस था अ्रस्वीकार उसे करता ? दुर्भाग्य आगया प्रणय-ग्रथित उन हृदयो पर, दुरदिन था वह + फपो नद ने उच्छवास भरे अ्रवसाद-मलिन होकर व्याकुल, कीयल न कह सको निज मानस की पीडा को, सुखकर स्मृतियों को दुहराने से अधिक सालती वया पीडा ? श्रब उन्हे बिछुडना था कल ही कसी कठोर थी वह बला ! मर अश्वुनयत मे रहे मोन भालिगन मे वे बहुत देर, पर विवश दोन ! भ्रो' राजमहल मे बिना भेज दी गई हत परवश बलातू । मोठी स्मृतियों की कसकन भर घर के प्रति इतनी हो कातर निर्मेम विषाद से हो जर्जर ऐसी न गई होगी पति-गृह कोई दुल्हन !




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