शिक्षा पण्णवति | Shiksha Pannavati
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
724 KB
कुल पष्ठ :
124
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)धम प्रवरणभ १५
शत जादि दुव्येसनमि पडक्र जो पापास्मा पतित हो जाता
1 है, वह सयमका भाश्रय छेक्र पुन दत्यानोन्मुख द्वो सकता हैं।
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जेसे -आकाशसे च्युत होकर भी पानोवी बृद स्वाति नक्षजमे
सीपये मुहर्मे जाकर सातीका रूप धारण कर हतो दे 1 ६ै॥
जड़ मेबसे उत्पन दोनेवाडी पानीका एक भगण्य घुद सोपका
शुभ आश्रय ल्कर भोठोका स्वरूप घारण फर छेती है डस्ी
प्रकार यंदि एक मिथ्यात्व्री प्राणी तपस्याफे आश्रयसे धर्मका
आशिफ आराधफक घन जाता दे ता इस विपयमे किसका विरोध
ही सकता दे ९ ॥१७॥
सूय। की सरोयरध्य कमछाको विवस्वर परता हू! यद्दो
सोचकर क्या तू इतना गर्ित हवा रद्दा है १ यदि सचमुच इस
मिध्याभिमानका सू शिकार हुआ है थो पहल उन चुमुदोंसे पूछ,
जो तेरे आगमन मसातसे सुरमा जाते है, तेरे गौरवका सोसला
पन वे ही घतायेंगे। संभवत तथ् त्तू यद भी जान सकेगा कि
सब॒य एक समान गौरव भाप्त करतेका अधिकारी तू नहीं किन्तु
एक मसाज धम ही दे, क्योंकि बह एकका पोषक और एफका शोपक
न होकर सबका ही पोषक होता हूँ ॥१८॥
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