तीन शहर तीन पहर | Teen Shahar Teen Pahar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
130
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about पुरुषोत्तमदास गौड़ - Purushottamdas Gaud
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)तीन झहर : तीन पहर श्र
इन्दिया रह-रहकर उसकी परांखों के सामने नाच रही थी । उसका रूप-
साव्रष्य, सुवाप्तित झरीर श्रोर थौन-मदिरा में भीगी मुस्कान, सभी कुछ
उप्तकी आंखों के समक्ष नाच रही थी, उसके मस्तिष्क में उत्मत्तता व्याप्त
कर रही थी । हे
/उफ़, कसी विडस्बना है !” बहू अपने-प्रायसे फुमफुस्ताया, “बयां
भारी सबमुच्र मदिरा से भी श्रधिक उत्तेजक है ? बया उसके सामीष्य भौर
आसकित-प्रामंत्रणा पर उदासीन रह पाना वास्तव मे प्रायः असम्भव है ?
वास्तव में सचाई कुछ ऐसी दी है ।
नारी-सौस्दर्य और संसर्ग की उपेक्षा कर पाना एक दुप्कर कार्य है
बहू जितना ही इन्दिरा को अपने मन से अलग कर अपने संयम-सतुलन
को दृढ़तर रखना चाहता था उतना ही वह उसके करीब, झौर करीब भाती
चली ज[ रही थी। भात्मदुर्पंतता को नियश्रित करने के लिए उसने आंखें
बन्द कर मरीं भर सीने पर बांहे जकड़कर लेट रहा ।
सत्य ही कहागया है कि जो प्रकृति शोर कठोर सचाइमी को परे रख-
कर निगत्व के भहम में भ्रपना प्रनुमव पक्ष परे रखते हैं, मानवीय दुर्बलता
और प्रकृति उन्हें कभी क्षमा वही करती ।
तन की एक बार भुठलाया जा सकता है परन्तु मत को भुठलाना
सर्वेया प्रसम्मव होता है ।
ऐसी ही दशा झसकिति की इस स्थिति में तवयुवक रामानन्द की भी
हुई
ध्रा्ें दन्द करते ही उस्ते लगा कि इन्दिरा उसकी बाहों मे समायो हुई
करुएा/लाप कर रही है। “बयाग्रो, बवाग्रो मुझे !” और गंगा घाट का वह
दुश्य भाकार ही उठा 1
इच्दिरा का सुन्दर मांसल शरोर । उस समय रक्षा-कर्त्तव्य की झनु-
भूति में तारी-त्यर्भ-प्रमुभूति विलोप थी, परन्तु इस समय रक्षा-श्रनुमूति
विलोर थी और नायी-स्पर्श-प्रदुमूति प्रवल $
रामासस्द, प्रवीक्षवर्पीव ब्रह्मचारी नव्युवक रामानन्द । सिर, सै दाव
User Reviews
No Reviews | Add Yours...