बालिका वधू | Balika Wadhu
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
120
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बालिका वधू र्भ्
का भी नहीं ।” कहकर रजनी ने मेरी ओर ताका, उसे संदेह हुआ---
वह जो कुछ कह रही है मैं उसे समझ नहीं रहा हूं 1 नाक प्रिकीड़कर
उसने कहा--/'कँसा लडका है रे ।**'ब्याह किया है, लेकिन--1
घापस आकर हम लोग विछावन पर बैठे । कुछ ही देर बाद
तकिए पर सिर रखकर रजनी थित होकर लेट गई। साड़ी के लम्बे
आंचल से वह बहुत परेशान थी, इसलिए उसकी पोटली बनाकर उस
आंचल को उसने एक ओर हटा दिया। फिर थोडी देर बाद ही उसने
पूछा--
“तुम्हारे सिर में दर्द है ?”
“कही । सिर में क्यों दर्द होगा !”
“पूद्धना चाहिए, दीदी ने कहा था, दूल्हे को पूछना; सिर में दर्द
है या नहीं? यदि कहे--है, तो धीरे-धीरे सिर दवा देता 1
में हुस पड़ा, रजनी मानो अप्रतिभ हो गई ।
“बयो हंसता है रे--1 रजनी ने होंढ उलटकर कहा ।
“हुंसी की बात सुनने पर हंसूगा नहीं |”
“भूत है 7
“क्षौत, मैं ?””
“मेरी बगल में 1” कहते-कहते हठात् जैसे उसे कुछ याद हो
आया, उसने मेरी आंखों में आें डाली--“अच्चा, एक पढ़ेली बूझों
ती जानूं |
गोरानगोरा चेहरा
बावू साहब छरहरा
हवा लगे तो उड़ जाय
पानी में वह घुल जाय 1
हवा में उड़नेवाली और पानी में घुलनेवाली, गोरे-गोरे चेहरे की चौज
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