प्राकृत प्रवेशिका | Prakrit Praveshika
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
161
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सरलब्यभन परिवर्तन १७
गे, तिसिनी 5 सिसिणी।' +
से, य क्यन््ध 5 ्मस्घो कयन्धो।
। व, शयल 5सयनो, अनावू 5 अलावू।?
म> फ़, भगवती 5 फकयती ( चू> पै० )।
ब, कैटम 5 केढवो ।*
है, सभा 5 सहा, शोभते >सोहइ नभ्न *ण्ह।
म>लोप, यमुना 5 जँंउणा, | चामुण्डा(- चॉउण्डा |*
ढ, विपम् 5 विसढो, विसमो ।*
व, मन्मथ +वम्महो, अभिमन्यु रूअहिवनन , अहिमस्नू |?
से, अमर ८ भसलो, भमरो।*
१ विस्ति या भ ॥41१1२३८हे ॥
विप्तिनी शब्द के ब को भ होता हे ।
३२ कवथे मं यो ॥८1१1२३९है०॥
कबध शब्द के व को मय होते हैं।
३ बोब ॥41१1२३७ हे २॥
स्तर से परे असयुक्त श्रनादि व को व होता हे ।
४. वैटभे भो व 14!1२४०हे था
फ्रैटम शब्द के भ को व होता है ।
६ यपुना चामुण्डा कामुकातिमुक्तके मोनुनासिकश्च ॥41 (1१०६ हैं. ॥!
मूनोक्त शब्दों के म का लोप होता है। लोप होत के बाद मे के स्थान
पर अनुनासिक होता है।
६. विपमे मो ढो वा ॥<1?1२४१ हेशा
विपम शब्द के मे को विकल्प से ढ होता है ।
७. (अ) म मथे व 141१1 ४२।हे ०॥
मं मथ शब्द के मं को व होता है ।
(व) वाभिमयौ 1411२ ४३ है ॥
अभिम-यु शब्द वे म थो विस्ल्य से व होता है ।
६. श्रमरे सो वा ॥ 1१1२४४हरेटला
अमर शब्द के म को यिवल्प से स होता है ।
हि
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