संतवाणी | Santvani

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Santvani by वियोगी हरि - Viyogi Hari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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“राम वही, रहमान वही” १३ 1 कोई राम, कोई अल्लाह सुनावे; पे अल्लाह राम का भेद न पावे॥ [ दादुदयालू ड कृष्ण करीम, रहीम राम हरि, जबलूगि एक न पेजा, देंद कतेव कूरान पुराननि, तबवरूगि भ्रम ही देखा। [ रैदास छ्‌ दास मलूका कहा भरमो तुम-- राम रहीम कहावत एके। [ मलूकदास ६ अलख अल्लाह, त्रहम खालिक खुदा हे एक, मेरे तो अभेद-भाव माया-मति खोई है; रास भेरे प्रान, रहिमान मेरे दीव-ईमान; भूछ गयो भेया, सब लोक-लाज घोई हूँ । कहत 'मल्क', में तो दुधिधा न जानों दूजों; जोई मेरे मन में हैँ, नैनन में सोई है । हरि हज़रत मोहि साथव सुकुन्द को सों; छाँडि केसौराय, मेरो इूसरो न कोई हैं ॥ _ मलूकदास




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