कुमुदिनी | Kumudini
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
332
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)छुमुढिनी र७
“सुधर स्थामफी मधुर बॉँसुरी
छीन कष्ट घरि देहु।
के छांडो हो ही बृन्दावन
अनत वसेरो छेंहु। *
राबू, ब्रान्डी ले आ।”? मु
कुमुदिती पिताके मुँहड्ी ओर झुक़क़र बोली--“बाबूजी,, यह
क्या कह रहे हो ९”?
मुऊुन्दलालने भाँसे सोलकर देसा , ऐसते ही दाँतो तले जीभ
'दबाऊर रह गये । हालाँ कि घुद्धिने मिछकुछ जवाब दे दिया था,
लेकिन फिर भी यह वात वे न भूले कि कुमुदिनीफे सामने शराब
नहीं चछ सकती।
जरा ठहरकर फिर गाना शुरू जिया।
“बृल्दावनमे कोन निठुर है, मुरठी रहो बजाय ९
कहा करूँ में हाय सी री, धरमे रक्मो न जाय ९
इन विखरे हुए गानोके दुकडोको सुनकर कुमुदकी छाती फटती
है,--मापर गुस्सा आता है, पिताके पैंगेंफ़े नीचे सिर रखकर मानो
माफी ओरसे बह माफी माँगना चाहती है ॥
मुडुन्दुलाल सहसा वोछ उठे--“दीवानजी ।”
+ बगलामें है --“कार वॉशी ओइ वाजे इन्दाबोने २
सोई लो, सोई
घेरे आमि रह्यो कैमोने ?”?
बगलानें हे --“श्यामेर वाशी काड़ते दबे
नोइ्ते आमार ए इन्दाबग छाड़ते हाँवे।!!
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