श्री अष्टादर्शपुराण दर्पण | Shri Ashthadash Puran Darpan

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Shri Ashthadash Puran Darpan by पं ज्वालाप्रसाद जी मिश्र - Pt. Jwalaprasad Jee Mishra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(१४). अशद्शपुराणदपण | पुराणका व्यासजीने प्रचार किया ऐसा बोब नहीं होता बरन व्यासजी- .... के शिष्पोद्वारा पुराण विभाग पाया जाता है, इसमें सन्देह नहीं के, जो .... सम्पूर्ण वेदोंका विभाग करते हैं उनकी प्राण और इतिहासकी सेकलछनमे... ... इच्छा होसकती है जानपढता है कि, सूत जो सब पुराण कहते व्यास- ..... जी उसकोही संकलित और श्रृंखढाबद्ध करके इनके पढठन पाठनमे <..... उत्साह भदान करते थे इस शंकाके उत्तरभ हम इतनाही कहना बहुत समझते ६ के जहां यह लिखा है कि पहले एक मात्र ऋक था।व्यासजीने उसके चार विभाग . फिंये कुछ नये नहीं किये किन्तु उसके मिश्रित भागकों पृथक २ कर दिया । साम पृथक किये, यजु पृथक्‌ किये इत्यादि इसी प्रकार पुराणसंहि- . तामें १८ अठारहों भाग विद्यमान थे जेसा लिखा है कि-पअत्येक द्वापर _ युगम व्यासजा पुराणावभाग करते है याद एसा न होता तो विष्णुप्राणम अठारह पुराणांका नाम नहीं पाया जाता। विष्णपुराणके क्रमानुसार अठा- रहपुराणांक नाम यह हैं-बाह्न १, पन्न २,विष्णु ३,शैब, ४,शागदत ५. . नारदीय ६, मार्केण्डेय ७, अशि ८, भविष्य ९,बह्वैवर्त ३०,छिल्ल३१, ... वाराह १२, स्कन्द्‌ १३, वामन १४, कूमे १५, मत्तय १६,गरुढ१७, ... अह्माण्ड १८, इन सब प्राणामही सगे शतिसग वेश मन्वन्तर और दंशा- .... नुचारंत कहे गये हीहे मेत्रेय तुमसे जिस पुराणका वणन करता हूं यह विष्ण- ... पुराण है इत्यादि ब्यासजीकी अठारह पुराण समन्वितही उपसेहिताके ... पुराणसहिता कहना विष्ण॒ुपुराणका उद्देश्य है, अथवा वह पुराणसंहिता .. केबल विष्णुतत्वसमन्धित बृहत्‌ विष्णुपुराण रूपसे थी जिंतसे यह विष्ण- _कटलमसलत-न७ नि लिफफप पर न ततत «०2८ म८नब नल




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