श्री उत्तराध्ययन सूत्र | Shri Uttradhyayan Sutra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
448
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ध्र०-२ श्र
8-+वात् ७०. #*+व्या७-- ३ % “अर | ++प्रट...हि ९:-वय् ७७० है #“+वययाहक७>- शा $ “पाक... € $““व्यपा० ४ ६ ०याइक-- 5,
से पुज्जमत्थे सुविणीयससए, मणोरुई चिट्ठठ कम्मसपया ।
तपोसमायारि समाहिसबुद़े, महय्जु्ट पच पयाट पालिया।४७
। + ऐसा शास्जज्ञ प्रणसनीय जिप्य, सशय रहित होंता हैं ।
वह गुरु फी इन्छानुसार प्रवृत्ति करता हुआ, कमसमाचारी,
टप समाचारी आर समाधि युकत सवरवान होकर तथा महा«
ब्रना का पालन कर महान् तेज वाना होता हू ॥४७॥ ४
से देवग उब्बमणुम्मपूटए, चइचु देह मलपकपुच्ययं |!
सिद्धे या हम सासए,देवे या अप्परए महिडििए ।9८। त्तिवेमि।
देव, गधव झार मनुप्या स पूजित वह थिप्य, मल मूत्र
से भरे हुए इस शरीर को छाडक्र, इसी जन्म्र में सिद्ध।एव
घाश्वत हा णाता हैँ । यदि कुछ कर्म शप रह जाय तो महात्
जटद्धिश्ञालीं देव हाता है । ऐसा मे कहता हु ॥४८ा।
जया
दुइयं परीसहज्भयणा
वक्त > (दस ४
सुय में आउस तेणा भगयया एयमक्खाब टह खख्ु
बावीस परीमहा समणेण भगयया महायीरेणा कासवेण पपरे-
इया जे मिक्स सुचा शा जिच्ा सभिभूय मिक्खायरियाए
परिव्वयन्तो पुट्ठो णो विशिहण्णेज्जा | ऊयरे सलु ते बाबीस
User Reviews
No Reviews | Add Yours...