संस्कृत शिक्षा भाग 1 | Sanskrit Siksha Bhag 1

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Sanskrit Siksha Bhag 1  by गौरीशंकर - Gaurishankar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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डे काक* कॉल ४6 ।87२/87२४ १८०) ( 460 (४0.. , मजा के5 ;४॒ विश्वेश्वरानन्द बेदिक सुंस्थान« 2 (१) 'शान्तकुटी बेदिक ला” (२) दयानन्द महावियुक्लय संस्कृत अ्न्थमाला' भ्शि बट अन्थमाला', (४) 'सबंदानन्द विश्व ग्रन्थ श्वू अर्धुर ग्रन्थमाला' ओर (६) “विश्व छात्र अन्थमाला' नामक मालाओ के अन्तगंत भिन्न-भिन्न प्रकार का प्रकाशन-कार्य चल रहा है। प्रस्तुत भ्रन्थ इन मालांओ्रों मे अन्तिम अथात्‌ “विश्व छात्र अन्धमाला? मे प्रकाशित हो रहा है । आज हमारे स्वतन्त्र-भारत के छात्र, यदि उनकी शिक्षा-दीक्षा उत्तम ढग से सपन्न हो, तो समस्त समन्वित संसार में सांस्कृतिक कशोधार के रूप मे अपने राष्ट्र द्वारा प्रतिष्ठा और सम्मान की प्राप्ति के झाधार बन सकते हैं| उसी उत्तम शिक्षा-दीक्षा के अंगनभूत विविध पाञ्य विषयो से सम्बन्धित, परीक्षोपयोगी तथा सामान्यरूप से योग्यता-बधक श्रेष्ठ-मन्थो का संपादन और प्रकाशन द्वी इस “माला का विस्तृत क्षेत्र निश्चित किया गया है । २, प्रस्तुत ग्रन्थ अनादि काल से चली आ रही मारतीय सम्यता ओर संस्कृति का मूल, प्राण और आधार सभी कुछ संस्कृत-साहित्य है। प्रत्येक भारतीय छात्र जितना अधिक इससे अपना प्रेम और परिचय बढ़ाएगा, उतना अधिक वह सच्ची भारतीयता के आत्मा का दशन कर सकेगा इसी बात को लक्ष्य मे रखते द्रुए, संश्कृत-भाषा सीखना आरम्भ करने




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